Mysterious nights [part 98]

 रूही, किसी छोटी बच्ची की तरह जलेबी और रबड़ी खाकर ,खुश हो रही थी। जब पारो ने उससे पूछा -क्या तुम्हें जलेबी बहुत पसंद हैं ? ये बात तुमने पहले कभी नहीं बताई। 

मुझे भी मालूम नहीं है ,किन्तु यहाँ देखकर मुझे एहसास हुआ कि ये मिठाई मुझे पसंद है। ज़लेबी खाकर वो लोग, आगे बढ़ते हैं। हो सकता है ,बचपन में कभी खाई हो और बचपन तो मैं भूल ही गयी बड़े भोलेपन से रूही ने जबाब दिया।  


आओ !चलो ,आगे देखते हैं ,कहकर वह सबसे आगे बढ़ चली। मेले में घूमते हुए ,रूही तो जैसे एकदम बच्ची बन गयी थी। पारो, जब से रूही से मिली है उसने रूही को एकदम शांत और चुप -चुप सी रहने वाली लड़की के रूप में देखा था।घंटो अकेली अपने कमरे में बैठी रहती थी,न ही किसी से मिलना चाहती थी।  ऐसा लगता था ,जैसे जीवन के प्रति उसकी कोई जिज्ञासा ही नहीं रह गई है, किंतु आज मेले में देखकर लग रहा है -जैसे वह एक बच्ची बन गई है ? झूले और वहां का वातावरण देखकर, लगता है जैसे वो अपना बचपन फिर से जी रही है। 

कुछ पलों के लिए ही सही , वह अपने आप को भूल गई है या फिर उसका बचपन उससे यह सब करवा रहा है। यह बात ,पारो को अच्छी लगी, हो सकता है, उसके इस व्यवहार का कोई सकारात्मक परिणाम बाहर आए। अभी वे लोग मेले में ऐसे ही घूम रहे थे तभी, एक' टेंट हाउस' उन्हें दिखलाई दिया जिस पर बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था।'' अपने भूत- भविष्य के बारे में जाने।'' यह देखकर मेरे कदम ठिठक गए, भविष्य को जानने की किसकी इच्छा नहीं होती ? इसलिए मैंने सोचा, एक बार कोशिश करके देखते हैं , वह सही बताता है या गलत !पता तो चले , अपना भविष्य कैसा है ?

यह सोचकर, पारो अपने दोस्तों से कहती है -आओ चलें, आज अपना भविष्य जानते हैं। 

हाँ ,हाँ देखे तो भला, हमारा आगे आने वाला जीवन कैसा होने वाला है ?हँसते हुए चेतन कहते हुए आगे बढ़ गया। वे लोग अंदर चले गए , वहां कोई पुरुष नहीं था बल्कि एक महिला थी, जो बड़ी अजीब सी वेशभूषा पहने हुए थी। उसने एक नजर हम सबको देखा और बोली - क्या अपना भविष्य जानना चाहते हो ?

इसीलिए तो हम आए हैं , वह सबकी तरफ देखती है ,तब पूछती है -सबसे पहले अपना भविष्य किसको जानना है ?

समीर आगे बढ़ता है ,समीर और वो महिला दोनों आमने- सामने बैठे थे ,तब वो कहती है ,अपने प्रश्न पर ध्यान केंद्रित करो !प्रश्न के अलावा अन्य कोई विचार मन में नहीं आना चाहिए। वो स्वयं भी मोमबत्ती जलाकर उस गोले पर प्रकाश करती है। समीर से उसका नाम पूछती है ,उस स्थान पर एकदम अँधकर छा  जाता है रौशनी के नाम पर वहां उस गोले के समीप मोमबत्तियाँ जल रहीं थीं। वह महिला उस गोले पर अपना ध्यान केंद्रित करती है। कुछ देर पश्चात वो बताती है - तुम्हारे जीवन में शीघ्र ही प्यार आने वाला है ,यानि तुम्हारा जीवन खुशियों से भरने वाला है।

उस भविष्यवाणी को सुनकर समीर को अच्छा लगा ,तब उसने मन में सोचा ,ये क्या कोई नई बात है ?जब मैं जवान कुंवारा लड़का हूँ तो एक न एक दिन तो ऐसा होना ही है ,यह बात कोई विशेष नहीं है। भविष्य की कोई ऐसी बात बताये ,जो होने वाली है ,और उसे होना नहीं चाहिए ताकि मैं सतर्क रहूं।  यही बात उसने अपने दोस्तों से भी कही। ऐसे समय में, उसके दोस्तों को उसका तर्क सही लगा। 

तब वो हमें घूरते हुए बोली -भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है ?उसे हम पूरी तरह तो नहीं देख सकते किन्तु किन्तु हमें शुभ -अशुभ, के संकेत मिलते हैं। होना तो वही है ,जो पहले रचा जा चुका है। अब यह बात सही है या गलत ! वो तो समय ही बताएगा। बारी-बारी से वो सभी को कुछ न कुछ बताती है।

 आजकल के बच्चों को, इन चीजों पर ज्यादा विश्वास नहीं रहता,हम भी उतना ही बताते हैं जितना आवश्यक है,  दुर्घटना ,बुरी सूचना हम नहीं देते ,हाँ ,उन्हें कुछ उपाय अवश्य बता देते हैं ताकि उसका घटना का प्रभाव कम हो। 

 वे सभी उसे परखने के लिए यहाँ आए थे किंतु ये सब तो भविष्य की बातें हैं, जब यह पूर्ण होंगीं तभी पता चलेगा कि उसने कितना सही बताया है और कितना गलत ? उस समय हम अपने भविष्य को जानने के चक्कर में रुही को भूल ही गए थे तभी रूही बोली -क्या तुम मेरा 'भूत' बता सकती हो ? 

तुम अपने' भूतकाल' के विषय में क्या जानना चाहती हो ?भूतकाल की जानकारी तो सभी को होती है। 

किन्तु मुझे नहीं है , मैं अपने बीते दिनों के विषय में जानना चाहती हूँ ,जिनके विषय में ,मैं सब कुछ भूल चुकी हूँ ,कुछ भी स्मरण नहीं है,उसके शब्दों में एक पीड़ा थी। सहज  होकर बोली - मैं सब कुछ भूल चुकी हूं ,मैं ,वही जानना चाहती हूं कि मैं अब तक क्या कर रही थी, कहां थी और क्यों थी ?

उसने रूही की आँखों में देखा ,और बोली -अपना भूत जानकर क्या करोगी ?कई बार अपना भूत या भविष्य  जानना दुःख के सिवा कुछ नहीं देता। तुम उसे भूल गयी हो, ये तो अच्छा ही है वरना वे यादें तुम्हें कष्ट देती रहतीं।  

नहीं ,फिर भी मैं, उत्सुक हूँ ,पता नहीं क्यों ?मुझे दर्द सा महसूस होता है ,मुझे अनेक तरह के स्वप्न आकर डराते हैं। मेरे उन सपनों का संबंध मेरे' भूतकाल' से है या' भविष्य का सूचक' है। रूही की बातें सुनकर वो महिला एकदम गहरी सोच में डूब गयी। उस महिला ने, रूही को अपने सामने बिठाया और गोले में कुछ देखने लगी , उसके कुछ देर पश्चात ,उसने कुछ कार्ड भी निकाले और उनमें भी देखने लगी। उसके चेहरे पर भाव आ जा रहे थे। रूही ,उसे ये सब क्रिया करते हुए ध्यान से देख रही थी, बहुत देर तक वह अपनी क्रिया करती रही।

 तब वह बोली -तुम्हारा विवाह हो चुका है, तुम पर बहुत अत्याचार हुए हैं, तुम्हारे साथ बहुत दरिंदगी  हुई है,तुमने अपने जीवन के कुछ साल, बड़ी मुश्किलों में बिताये हैं। तुम्हारा सब कुछ लूटकर तुम्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया। उन लोगों ने तो लगभग तुम्हें मार ही दिया था किंतु तुम बच गईं ' कुदरत का खेल देखो !' उसने तुम्हें, उनके अपराधों का बदला लेने के लिए, फिर से तुम्हें जीवित कर दिया। 

उसकी बातें सुनकर, रूही बुरी तरह घबरा गई, और वह सोचने लगी -यह सब क्या कह रही है ? तभी वह बोली -मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ? तुम झूठ बोल रही हो, मेरा तो विवाह ही नहीं हुआ। ऐसा कैसे हो सकता है ? वो कौन है ?जिससे मेरा विवाह हुआ है ,क्या मुझे इसी कारण वे स्वप्न आते हैं ?

हाँ ,वो तुम्हें कुछ याद दिलाना चाहते हैं ,जो तुम भूल चुकी हो ,या फिर वे यादें परछाई की तरह तुम्हारे साथ हैं किन्तु समय के साथ धूमिल हो चुकी हैं। 

ऐसा कैसे हो सकता है ? कहते हुए रूही उस टेंट से बाहर भागी , यह सब बातें, पारो ने और उसके दोस्तों ने भी सुनी। किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।इस विषय में तो पारो को भी कोई जानकारी नहीं थी। वे सभी पारो से रूही के विषय में, जानने को उत्सुक हो उठे ,तब पारो बोली -मैं बस इतना ही जानती हूँ ,इसे मेरी मौसी ने अपनाया है। तब वो उस महिला से पूछती है ,क्या ये बात सही हो सकती है ? रूही तो वहां से चली गई थी, तब रूही ने उस महिला के समीप  जाकर पूछा  -यह आप क्या कह रही है ?आपने जो भी कहा ,सत्य हो सकता है। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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