Raaz kholana

 विनिता ने, चुपचाप किसी को कुछ भी बताये बग़ैर अपने दोस्त के साथ एक योजना बनाई।जब  वह अपने दोस्त के साथ बैठी हुई बातें कर रही थी। तब उन दोनों के पीछे उसका छह साल का बेटा वहीं पर सो रहा था। विनीता ने अपने दोस्त से, एक 'केक' लाने के लिए कहा था। तभी उसका बेटा उठा और उसने उन अंकल को देखा और पूछा- मम्मी !क्या हो रहा है ?

कुछ नहीं बेटे, तुम्हारे पापा का जन्मदिन आ रहा है उनके लिए एक ''सरप्राइज'' है इसलिए पापा को कुछ  मत बताना। यह हम दोनों मां बेटे का राज़ है। हम पापा को अचानक से चौंका देंगे। बेटा भी खुश हो गया, कि पापा के जन्मदिन पर,हम खूब मजे करेंगे।


 अगले दिन कबीर अपने स्कूल चला गया और उसके पापा अपने काम पर चले गए। सब कुछ योजना के तहत हो रहा था। विनीता ने घर को बड़े अच्छे तरीके से सजाया था। मन ही मन सुमित सोच रहा था, आज मेरा जन्मदिन है और विनीता ने मुझे, मेरे जन्मदिन पर बधाई भी नहीं दी। फिर सोचा-काम में लगी रहती है, भूल गई होगी। शाम को मैं ही जाकर सबको चौंका दूंगा। कबीर और विनीता को लेकर बाहर घूमने जाएंगे मन ही मन उसने भी योजना बना ली थी।

कबीर जब स्कूल से आया, तो उसने देखा- मम्मी घर को अच्छे से सजा रही हैं वह भी अपनी ,मम्मी की सहायता करने लगा। शाम को जब सुमित अपने घर आया, तो वह देखकर आश्चर्यचकित रह गया। सबने उसे सरप्राइज किया है उसके जन्मदिन की तो पहले से ही तैयारी हो चुकी हैं।  ऐसी पत्नी और बेटा पाकर  वह बड़ा प्रसन्न हुआ। तब सुमित ने विनीता से पूछा - तुमने और लोगों को नहीं बुलाया। 

नहीं, तुम्हारा जन्मदिन हम आपस में मिलकर ही, बहुत अच्छे तरीके से मनाएंगे तब वह रसोईघर से, केक ले आई, सुमित खुश होकर ,वह केक काट रहा था किंतु जैसे ही उसने उस केक को, अपनी पत्नी को खिलाना चाहा तो उसने, सुमित के हाथ से केक लेकर, स्वयं सुमित को केक खिलाने लगी। तभी अचानक से कबीर बोल उठा -पापा आपको केक खिला रहे हैं पहले आप खाइये !

नहीं बेटा, जिसका जन्मदिन होता है, पहले वह केक खाता है, मां ने उसे समझाया। 

कबीर भी जिद पर अड गया, और बोला -पहले यह केक मम्मी खायेगी। 

विनीता उसे डांटना लगी, तब सुमित बोला -बच्चे  का मन रखने के लिए ,पहले तुम ही इस केक को खा लो ! इससे क्या फर्क पड़ता है ?तुम खाओ या मैं खाऊं यह केक तो हम सभी को खाना है किंतु विनीता उस केक को खाना ही नहीं चाहती थी। 

कबीर ने उससे पूछा -तुम केक क्यों नहीं खा रही हो ?

तब कबीर बोला -ये केक इसीलिए नहीं खा रहीं हैं क्योंकि इस केक में ज़हर है। 

कबीर की बातें सुनकर दोनों पति -पत्नी चौंक गए और सुमित बोला -ये तुम क्या कह रहे हो ?तुम्हें कैसे मालूम इसमें ज़हर है। 

तब कबीर बोला -जब मैं स्कूल से आया था तो मम्मी के दोस्त इस केक को लाये थे और मम्मी से कह रहे थे -जो तुमने कहा ,वो मैंने इसमें मिला दिया है ,किसी को पता भी नहीं चलेगा और एक पीस खाते ही ,यह केक अपना काम कर जायेगा। उसके बाद हम दोनों साथ में रहेंगे। आखिर कबीर ने सुमित के जन्मदिन के सरप्राइज का'' राज़ खोल'' दिया था ,खोला भी ऐसे मौक़े पर, जिससे विनीता की सच्चाई उसके सामने आ गयी। विनीता कबीर को बच्चा समझकर उसके सामने ही ये सब कर रही थी ,आज उसी बच्चे ने उसका ''राज़ खोलकर ''सुमित के सामने रख दिया था। तभी सुमित अंदर गया और घर में छुपे हुए उन अंकल को भी ले आया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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