Khoobsurat [part 10]

एक डर के साथ, तमन्ना जी रही थी उसके पश्चात भी, उसके मन में, उसके विचारों में कोई परिवर्तन नहीं आया था , सोच रही थी- सभी का अपना-अपना देखने और सोचने का नजरिया होता है। 

शिल्पा के बताने पर' कुमार' अत्यंत प्रसन्न था और उसने अपने दोस्तों को भी यह खुशखबरी सुनाई थी , उसके दोस्त हमेशा उसके साथ रहते थे। एक और प्रतियोगिता में, जाने का मौका उन्हें हाथ लग रहा था। कुमार के लिए ही ''आर्ट गैलरी'' में जाते थे किंतु उन्हें कला में कोई दिलचस्पी नहीं थी  किंतु मित्र की खातिर,  उसके साथ चले जाते थे।

कहते हैं ,न..... '' पुष्प की गंध छुपाये नहीं छुपती ''उसी तरह' तमन्ना' को भी, यह बात पता चल गई थी, कि कोई तो है जो उसकी कला का इतना बड़ा प्रशंसक है। मन ही मन सोच रही थी -कब तक मैं ,उससे सच्चाई  छुपाती रहूंगी। अब मुझे भी इस सच्चाई को समझ लेना चाहिए। हमेशा अपने स्थान पर नित्या को भेज देती हूँ,  नित्या उसकी दोस्त ही नहीं बल्कि उसकी ममेरी बहन भी थी। नित्या ने ही उसको, थोड़ा रहने- सहने का तरीका और कैसे सजना -संवरना है ? यही सब समझाया था, तमन्ना के अंदर भी  धीरे-धीरे  आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था , इस आत्मविश्वास के बावजूद भी वह दोहरी जिंदगी जी रही थी। एक तरफ वह कलाकार'' तमन्ना'' बनी हुई थी तो दूसरी तरफ......  यह तो दिल्ली की ''आर्ट गैलरी '' में जाकर ही मालूम होगा, असल में' तमन्ना' कौन है ?

नित्या को कुछ दिनों के लिए, उसकी बुआ अपने साथ लेकर आई थी वे जानती थीं, कि उनकी बेटी, कुछ उलझनों में जी रही है। उनकी बेटी किसी भी बात को अपने दिल से बात को लगा लेती है और  धीरे-धीरे अपना आत्मविश्वास खोती जा रही है ,नित्या एक समझदार और सुलझी लड़की है वो तमन्ना से उम्र में एक वर्ष बड़ी है ,वो तमन्ना से बड़ी बहन की तरह नहीं वरन एक दोस्त की तरह बात करती है इसीलिए वे  नित्या को, अपनी बेटी की दोस्त बनाकर उसे अपने संग ले आई और उसे समझाने के लिए कहा ताकि वह जीवन में आत्मनिर्भर बने उसे अपने आप पर भरोसा हो। 

धीरे-धीरे नित्या ने अपना कार्य बखूबी निभाया और तमन्ना के मन में एक विश्वास जगाया। वह अकेली नहीं उसकी मम्मी और उसकी दोस्त जैसी बहन उसके साथ हैं। वैसे तो नित्या कुछ दिनों की छुट्टियों के लिए ही आई थी, किंतु जब उसकी बुआ ने देखा, कि नित्या का साथ, उसकी दोस्ती का असर उनकी बेटी में आत्मविश्वास जगा रहा है ,दोनों एक -दूसरे से अपनी बातें बताती हैं और खुश रहती हैं , तब उन्होंने नित्या का दाखिला भी, अपने ही शहर में करवा दिया था। दोनों एक ही, शहर में पढ़ती थी, किंतु नित्या का कॉलेज अलग था। इस तरह धीरे-धीरे, दोनों आगे बढ़ रही थीं। 

नित्या,अक़्सर तमन्ना को उसके प्रशंसकों की बातें फोन से पढ़कर उसे सुनाती,और दोनों साथ मस्ती-मज़ाक भी करतीं। यदि कोई गलत टिप्पणी लिखता तो उसे बिना बताये मिटा भी देती।' तमन्ना' के प्रशंसकों की सूची बढ़ती जा रही थी,'तमन्ना' तो अपना फोन अपने पास कम ही रखती ,अपने कॉलिज के दोस्तों के फोन नंबर ही उसमें थे। ज्यादातर वह फोन नित्या के पास रहता,पहले तो नित्या ने उसकी पेंटिंग का चित्र ही उसकी प्रोफ़ाइल पर लगाया था उसके पश्चात बदलकर एक खूबसूरत लड़की का चित्र लगा दिया था जिसकी जानकारी तमन्ना को नहीं थी। नित्या ही अक्सर उनकी समीक्षाएं उसे पढ़कर सुनाती अब वह बहन होने के साथ-साथ एक अच्छी दोस्त भी बन गई थीं,जिस पर वो आँख मूंदकर विश्वास करने लगी थी। 

''तमन्ना'' को, आज,फिर से एक प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए बुलाया गया था ,अब तक तो यही हुआ था ,''तमन्ना ''अपनी बनाई'' पेंटिग्स ''भिजवा देती थी किन्तु अबकि बार उन लोगों का कथन था -'पेंटिंग 'के लिए विषय भी वहीं दिया जायेगा और वहीं पर परिणाम भी सुनाया जायेगा। 

कोई और समय होता तो शायद इन शर्तों को मानने से तमन्ना इंकार कर देती किन्तु अब उसके अंदर इतना आत्मविश्वास तो बढ़ ही गया है ,वो अब किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी। वह भी चाहती थी कि अब उसके प्रशंसक उसकी पेंटिग्स को ही नहीं ,उसे भी पहचाने इसीलिए तमन्ना भी अपने प्रशंसकों से मिलना चाहती है, वह उस प्रतियोगिता में जाने के लिए तैयार होती है उसे तैयार होते देखकर नित्या उससे पूछती है- तुम कहां जा रही हो ?

क्यों ?क्या तुम्हें मालूम नहीं है ,आज प्रतियोगिता है ,क्या मुझे जाना नहीं चाहिए ?वहां तो जाना भी आवश्यक है ,मेरे बिना जाये ,मैं उस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकती। 

ये बात मैं जानती हूँ किन्तु मैंने उन लोगों से बात कर ली थी,तुम्हें जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

क्यों ?तुमने उन लोगों से क्या कहा ?जो वे अपने नियम बदलने के लिए तैयार हो गए। उसकी इस बात पर नित्या एकदम चुप हो गयी ,अब वो उससे कैसे कहे ?कि उसने उन लोगों को क्या कारण बताया है ?

चुप क्यों हो ?कुछ तो जबाब दो !क्या तुम जानती हो ? वह मेरे लिए ही तो, हर प्रतियोगिता में आता है।

नित्या परेशानी में घिर गयी तब वो धीमे स्वर में बोली -मैंने उनसे कहा है -तुम्हारे पैर में चोट लगी है ,तुम नहीं आ सकतीं। 

क्या? इतना बड़ा झूठ बोलने की क्या आवश्यकता थी ? 

मुझे माफ़ करना ,मुझे नहीं लगता था ,हर बार की तरह इस बार भी तुम नहीं जा पाओगी इसीलिए मैंने ये बहाना बनाया।

ये तुमने क्या कर दिया ?तमन्ना को लग रहा था ,इसने मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया।आज उसे नित्या पर क्रोध आ रहा था,वो बोली -ये बहाना बनाने से पहले एक बार तो मुझसे पूछ लेती ,अब क्या करें ?

दोनों की बातें कल्याणी जी ने सुन लीं ,तब वो तमन्ना से बोलीं - क्या तुम वहां जाना चाहती हो ?इतने लोग तुम्हें वहां देखेंगे ,क्या तुम अपने आपको संभाल लोगी ?बाद में परेशान मत होना,किसी की बात को दिल से मत लगा लेना। तमन्ना ने हाँ में गर्दन हिलाई ,तब कल्याणी जी ने जो उपाय उन्हें बताया ,उसे सुनकर दोनों आश्चर्यचकित रह गयीं और ख़ुशी से उछल पड़ीं।      

मैं जानती हूं ,''कुमार'' तुम्हारी कला का प्रशंसक है, किंतु अभी उसने तुम्हें नहीं देखा है, तुम मात्र उसके लिए एक कल्पना हो और उसकी कल्पना कैसी है ? यह अभी तुमने जाना नहीं है। पहले उसके मन को टटोल लो ! हो सकता है जब तुम उसके सामने जाओ ! उसके साथ-साथ तुम्हारा दिल भी आहत हो। 

तब मुझे क्या करना चाहिए? वह मुझसे मिलने के लिए बेचैन है। 

उसे अभी थोड़ा तड़पने दो ! उसे तुम्हारे प्यार में, पागल तो बनने दो ! तब तुम उसके सामने जाना। 

नित्या की बात सुनकर, तमन्ना उदास मन से, चुपचाप वहीं कुर्सी पर बैठ गई, तभी अचानक से उठी और अपने आप को आईने में निहारने लगी। उसे अब अच्छा लग रहा था , उसे थोड़ा सजना संवरना पड़ा, किंतु आज यह रूप न जाने क्यों ? तमन्ना को अच्छा लग रहा था। 

नित्या ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और बोली -अच्छा ! तुम वहां अवश्य जाना किंतु उसके सामने मत आना। 

यदि मैं सामने भी आ गई तो वह मुझे नहीं पहचान पाएगा मैं उसके सामने भी घूमती रहूंगी तो भी नहीं पहचान पाएगा, तमन्ना ने कहा। 

यह तो और भी अच्छी बात है, और भी मजा आएगा ,तब तो तुम्हें चलना चाहिए किंतु इस रूप में जिसमें उसने तुम्हें देखा है ,' तमन्ना'' बनकर नहीं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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