Rishton ki maryada

गौरव के बहुत सारे दोस्त हैं ,स्कूल के समय से लेकर कॉलिज में भी संग रहने का इरादा था किन्तु सभी अलग -अलग हो गए।  अपने दोस्तों के बग़ैर तो वो, जैसे जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। उनके साथ खेलना ,घूमने जाना ,सेल्फ़ी लेना ,बाइक राइडिंग इत्यादि कार्य अपने दोस्तों के साथ करता। यूँ समझ लीजिये !अपने दोस्तों के साथ रहकर जैसे सारी दुनिया भूल जाता है क्योंकि उसकी असली ख़ुशी तो उसके दोस्त ही हैं। 

गौरव को इस तरह अपने दोस्तों के साथ देखकर ,उसकी मम्मी बोली -बेटा !अपने करियर पर भी ध्यान दो !दोस्ती करना अच्छी बात है, किन्तु दोस्ती में अपने जीवन का लक्ष्य भूल जाना तो उचित नहीं है। 


मम्मी ! आप चिंता न करें ,हम अपने करियर के प्रति भी सजग हैं ,कुछ दिनों पश्चात गौरव को पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ गया। चार सालों के पश्चात ,गौरव फिर से अपने दोस्तों से मिला। गौरव की मम्मी ने महसूस किया, अब उसके दोस्त बड़े भी हो गए हैं और समझदार भी, कुछ दोस्तों के व्यवहार में भी परिवर्तन आया है, जो उन्हें ठीक नहीं लगा लेकिन समय के साथ कुछ लोग बदल जाते हैं, उनके व्यवहार बदल जाते हैं। ''बदलाव आना तो प्रकृति का नियम है किन्तु ये बदलाव सही दिशा में जा रहा है तो सही रहता है।''

गौरव  कुछ दोस्त शराब भी पीने लगे हैं किन्तु गौरव की मम्मी के कारण, कभी गौरव पर दबाब नहीं बनाया ,वे जानते थे कि गौरव की मम्मी हमें बचपन से जानती हैं और हम भी.... यदि उन्हें पता चल गया तो गौरव से हमें मिलने भी नहीं देंगी। कुछ दिनों तक वह दोस्तों संग रहा और अब गौरव को अपनी नौकरी पर जाना था। 

गौरव की नौकरी लगते ही ,उसकी मम्मी ने उसकी शादी के लिए लड़की देखनी आरम्भ कर दी ,वो चाहती थीं कि अब सही समय है ,बेटे का विवाह हो जाये तो उनकी चिंता भी दूर हो। कुछ दिनों पश्चात् उन्हें एक सुंदर ,पढ़ी -लिखी ,समझदार लड़की मिल भी गयी। अब गौरव एक शादीशुदा नौकरी पेशा इंजीनियर था। उसके दोस्त उससे मिलने  भी आते और उसकी पत्नी की सुंदरता और व्यवहार की प्रशंसा करते हुए चले जाते। गौरव का एक मित्र ओर था तन्मय !जो आगे नहीं पढ़ा और न ही कोई कार्य कर रहा था। उसके माता -पिता उसकी शराब की लत से भी परेशान हो चुके थे। कभी -कभी दोस्ती के नाते गौरव घर में बिना किसी को बताये,उसकी आर्थिक मदद भी कर दिया करता था। 

एक बार वो गौरव के घर ही पहुंच गया ,वो गौरव की पत्नी शालिनी को अज़ीब नजरों से देखने लगा ,उस समय गौरव घर पर नहीं था। शालिनी ने उसके लिए भोजन भिजवाया ,भोजन करके बोला -आओ !हमारे साथ बैठो !मैं भी तो गौरव का मित्र ही हूँ ,क्या तुम उसके अन्य दोस्तों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करती हो,वे तो तुम्हारी बहुत प्रशंसा करते हैं। 

 अभी वो घर पर नहीं हैं ,आप आराम कीजिये !जब आ जायेंगे ,उनसे मिल लीजियेगा, कहते हुए अपने कमरे में चली गयी।महिला की छठी इंद्री पहचान जाती है कि वह पुरुष उसे किस दृष्टि से देख रहा है।  जब गौरव अपने घर आया और अपने  दोस्त को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और शालिनी से उसे मिलवाया। 

तन्मय, शालिनी की शिकायत करते हुए बोला -भाई !तुम्हारी पत्नी में, मेहमानों का स्वागत करने का कोई सलीक़ा नहीं है। तुम्हारे अन्य दोस्त तो आकर बहुत ही खुश होते हैं, किंतु इसने मेरे साथ तो ऐसा कोई व्यवहार नहीं किया। गौरव बोला - क्या उसने तुम्हें भोजन नहीं खिलाया ?

 हां, उसने अपनी नौकरानी के साथ मुझे भोजन भेजा था, मुंह बनाते हुए तन्मय बोला। 

 भोजन मिल गया न.....  अब बताओ! किस वजह से, तुम यहां आए हो। 

बस तुझसे मिलने चला आया, अपने दोस्त से , क्या चाय नहीं पिलायेगा ? कहते हुए उस दरवाजे की तरफ देखने लगा ,जहाँ से शालिनी गयी थी गौरव ने उसके कहने पर चाय मंगवा ली किंतु शालिनी बाहर नहीं आई। तुम्हारी पत्नी कहां रह गई ?उसे भी तो बुलाओ ! हमारे साथ चाय पी लेगी।

वो चाय नहीं पीती ,जब पीनी होगी तो वहीं मंगवा लेगी।  

क्यों, हममें क्या कांटे लगे हैं ?तन्मय चिढ़ते हुए बोला। 

उसकी इच्छा पिए या न पिए, तुम अपनी चाय पियो ! अब चाय नहीं पीनी है, अब तो बोतल मंगवा दे ! ज़िद करते हुए बोला। 

तन्मय की बात सुनकर गौरव बोला -चल ,उठ ,खड़ा हो जा ! 

गौरव का इस तरह का व्यवहार देखकर तन्मय बौखला गया। यह तू क्या कह रहा है ?

 जो कुछ भी कह रहा हूं सही कह रहा हूं,उसका कॉलर पकड़ते हुए बोला - खड़ा हो और मेरे घर से बाहर निकल जा... तूने क्या मुझे बेवकूफ समझा है ? माना कि तू मेरा दोस्त है लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं, तू मेरे घर पर शराब पीकर चला आएं। मेरे घर के भी कुछ उसूल हैं ,मेरा परिवार यहां रहता है, तुम्हें बात करने की भी तमीज नहीं है। दोस्ती की खातिर मैं तेरी सभी गलतियां माफ कर रहा था किंतु तूने, यहां आकरजो इस तरह का व्यवहार किया है , वह तनिक भी क्षम्य नहीं है। हर'' रिश्ते की एक मर्यादा ''होती है ,वो मेरी पत्नी है ,उसने मुझे फोन पर सब बता दिया था, तूने यहां आकर क्या -क्या हरकतें की हैं ,वो मेरे कारण ही चुप रही वरना ऐसे लोगों को वो घर में भी घुसने नहीं देती। आज से तेरी -मेरी दोस्ती यहीं समाप्त होती है। अब तू यहां से जा सकता है ,तू क्या सोच रहा था ?मैं तुझे अपने घर में यहां बैठाकर शराब पिलाऊंगा ,ये मेरा घर है ,कोठा नहीं कहते हुए गौरव ने तन्मय को बाहर का रास्ता दिखला दिया।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post