Adhura safar

 अधूरे स्वप्न !

 अधूरे अरमान !

 अधूरी रह जाती,

 रिश्तों की डोर है। 



कहने को थीं बातें ,कई !

जो रह गयीं ,'अनकही' ,

जीवन के सफ़र में ,

ये 'सफ़र 'भी अधूरा है। 

थे,आँखों में पैग़ाम कई ,

हमें मिलते, अधूरे से हैं। 

होतीं हैं ,मुलाक़ातें !कई ,

रह जाते ,जज़्बात अधूरे से हैं । 

बातों ,मुलाक़ातों की छोडो !

'हमसफ़र' साथ न हो तो... 

रह जाते ,'सफ़र' अधूरे से हैं। 

इस जन्म में तो क्या ?

अगले जन्म की चाह अधूरी है। 

मंज़िलें कई हैं। 

पाने को, चाहत अधूरी है। 

कभी ,राहों में गुम हुई ,मैं !

कभी, रास्ते खो गए !

लगता ,इस 'सफ़र ''में ,

हर एक' आस 'अधूरी सी है। 


आधा सच !

 'आधा सच' भी,'' आधा झूठ ''ही होता है। 

' अर्धसत्य',में छुपा कोई अरमान होता है।

 सम्पूर्ण सच्चाई कहीं ,आहत न कर  दे !

 आहत हों जज़्बात, ' विश्वास' न खो दें  !

 पूर्ण सच ! जानलेवा हो सकता ,कभी।

''अर्धसत्य ''कहें ,पूर्ण सत्य कहेंगे कभी। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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