अधूरे स्वप्न !
अधूरे अरमान !
अधूरी रह जाती,
रिश्तों की डोर है।
कहने को थीं बातें ,कई !
जो रह गयीं ,'अनकही' ,
जीवन के सफ़र में ,
ये 'सफ़र 'भी अधूरा है।
थे,आँखों में पैग़ाम कई ,
हमें मिलते, अधूरे से हैं।
होतीं हैं ,मुलाक़ातें !कई ,
रह जाते ,जज़्बात अधूरे से हैं ।
बातों ,मुलाक़ातों की छोडो !
'हमसफ़र' साथ न हो तो...
रह जाते ,'सफ़र' अधूरे से हैं।
इस जन्म में तो क्या ?
अगले जन्म की चाह अधूरी है।
मंज़िलें कई हैं।
पाने को, चाहत अधूरी है।
कभी ,राहों में गुम हुई ,मैं !
कभी, रास्ते खो गए !
लगता ,इस 'सफ़र ''में ,
हर एक' आस 'अधूरी सी है।
आधा सच !
'आधा सच' भी,'' आधा झूठ ''ही होता है।
' अर्धसत्य',में छुपा कोई अरमान होता है।
सम्पूर्ण सच्चाई कहीं ,आहत न कर दे !
आहत हों जज़्बात, ' विश्वास' न खो दें !
पूर्ण सच ! जानलेवा हो सकता ,कभी।
''अर्धसत्य ''कहें ,पूर्ण सत्य कहेंगे कभी।