Office

तमन्ना थी ,यही मेरा भी एक 'ऑफिस 'होगा। 

 सेक्रेटरी के संग एक बड़ा सा केेबिन होगा। 

जिंदगी के कई वर्ष,ज्ञान अर्जन  में खपा दिए,

इकऑफिस की ख़ातिर,कब अरमान पूरा होगा ?


रहा बैठा, यह सोचता यही जीवन का सार होगा। 

मेरी रोजी-रोटी , ख्वाबों का एक मुकाम होगा। 

एक प्यारी सी बीवी, प्यारे बच्चों का जहां होगा।

ख्वाबों को पूर्ण करें ,न जाने कैसा ऑफिस होगा ?

तमन्नाओं के डेरों में , खुशियों का ख़्वाब होगा। 

करता हर चाहत पूरी ,ज़िंदगी का मुक़ाम होगा।   



मेरे ,वो पत्र ! -


तुझे जो मैंने पत्र लिखें,

डाले नहीं ,कभी डाक में। 

आज भी तेरी यादों को,

दिल में संजो  रखा है। 

उन पत्रों के मोती ,भाव!

सभी को,सभी की नजरों,

से बचा रखा है। 

खबर न हो, किसी को,

उन पत्रों को दिल के ,

आईने में छुपा रखा है। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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