तमन्ना थी ,यही मेरा भी एक 'ऑफिस 'होगा।
सेक्रेटरी के संग एक बड़ा सा केेबिन होगा।
जिंदगी के कई वर्ष,ज्ञान अर्जन में खपा दिए,
इकऑफिस की ख़ातिर,कब अरमान पूरा होगा ?
रहा बैठा, यह सोचता यही जीवन का सार होगा।
मेरी रोजी-रोटी , ख्वाबों का एक मुकाम होगा।
एक प्यारी सी बीवी, प्यारे बच्चों का जहां होगा।
ख्वाबों को पूर्ण करें ,न जाने कैसा ऑफिस होगा ?
तमन्नाओं के डेरों में , खुशियों का ख़्वाब होगा।
करता हर चाहत पूरी ,ज़िंदगी का मुक़ाम होगा।
मेरे ,वो पत्र ! -
तुझे जो मैंने पत्र लिखें,
डाले नहीं ,कभी डाक में।
आज भी तेरी यादों को,
दिल में संजो रखा है।
उन पत्रों के मोती ,भाव!
सभी को,सभी की नजरों,
से बचा रखा है।
खबर न हो, किसी को,
उन पत्रों को दिल के ,
आईने में छुपा रखा है।