मिसेज खन्ना के घर ,पार्टी बहुत देर तक चली। सभी ने अंताक्षरी ,तम्बोला ,खेल इत्यादि कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। कुछ खेल नीलिमा ने भी खिलवाये। वहाँ मौजूद सभी महिलाएं नीलिमा से प्रभावित हुए बिना न रह सकीं। एक ने तो यहाँ तक भी कह दिया -मिसेज खन्ना !आपकी नौकरानी बहुत ही होशियार है।
ऐसे शब्द सुनकर न जाने क्यों ? मिसेज खन्ना को आज कुछ ,अच्छा नहीं लगा और बोली -ये इस घर की नौकर नहीं ,परिवार के सदस्य की तरह ही हैं। थोड़ा परेशानी में हैं, इनका बेटा बीमार है और पति नहीं हैं इसीलिए मेरे यहाँ कार्य करती हैं। मैं इन्हें ,नौकर नहीं मानती ,मेरे काम में ,हमेशा मेरे साथ रहतीं हैं। मैं मानती हूँ ,कि ये मेरे यहाँ कार्य करतीं हैं ,किन्तु प्लीज़ इनके लिए ' नौकर 'शब्द का प्रयोग मत कीजिये। अभी आप लोगों ने देखा ,ये हमसे ज्यादा अनुभवी और समझदार हैं। परेशानी किस पर नहीं आती ? इसीलिए.......
तभी उसकी एक सहेली बुदबुदाते हुए अपने साथ खड़ी महिला से बोली -नौकर को नौकर नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ? रिश्तेदार ! दोनों ही मुस्कुरा दीं।
यह बात नीलिमा ने सुन ली और मुस्कुराते हुए बोली -आप मेरा नाम ले सकती हैं , मेरा नाम 'नीलिमा 'है, न ही मैडम को कोई परेशानी होगी और न ही, आप लोगों को नीलिमा सहजता से बोली -''यह तो मेरा सौभाग्य है , जो मुझे, ये मैडम के रूप में मिलीं , और अपने प्रति उनके मन में इतना सम्मान देखकर, मैं स्वयं ही, गदगद हो उठी। आप लोग नहीं जानते हैं, इनके पास मुझे ,इनके व्यवहार के लिए भेजा गया था, ताकि यह मेरा अपमान करें, किंतु मैंने देखा है, यह इतनी रूड भी नहीं हैं। जो लोग इन्हें इतना क्रोधी स्वभाव का या निर्दय समझते हैं, कम से कम पहले ,अपने अंदर झांककर तो देखें ,वह क्या है ? यदि इनका क्रोधी स्वभाव है ,तो गलत, सोच और गलत व्यवहार के लिए है। कहते हैं ,न -कि 'बद से बदनाम बुरा ', यही इनकी हालत कर दी है किंतु आज इनके हृदय में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है , और मैं देख रही हूं, इनके व्यवहार में भी बहुत बड़ा परिवर्तन आता जा रहा है। कहते हुए नीलिमा ने सबके हाथों में एक-एक ड्रिंक और थमा दी। जब आप किसी का, कहना नहीं मानेंगे या समय पर उसका कार्य नहीं करेंगे तो क्रोध आना स्वाभाविक है , किंतु मैडम ने, मेरे साथ हमेशा प्यार से व्यवहार किया है और आज आप लोगों के सामने इनके मन में ,अपने प्रति सम्मान देखकर, मुझे लगता है -'जैसे मेरा जीवन ही धन्य हो गया।'
कुछ लोगों को नीलिमा के कारण , मिसेज खन्ना का व्यवहार ,अच्छा नहीं लगा और कुछ को व्यवहार अच्छा लगा किंतु धीरे-धीरे पार्टी समाप्त हो गई और सभी सहेलियां अपने-अपने घर चलीं गई।
नीलिमा और मिसेज खन्ना ,चांदनी के इस तरह हड़बड़ाने और पार्टी को मध्य में ही, छोड़कर जाने के कारण, अब तक दोनों अपने को रोके हुई थीं । कमरे में आकर दोनों ही हंसने लगीं -मिसेज खन्ना बोली -अब तक तिलमिला रही होगी, किंतु मिसेज खन्ना, अभी तक यह भी नहीं समझ पाई थीं आखिर नीलिमा ने मुझे अपने आपको चंपा कहकर पुकारने के लिए क्यों कहा ? आखिर इस नाम का क्या राज़ है ?कुछ समझ नहीं आ रहा था ,हंसते हुए, मिसेज खन्ना ने पूछा -इस नाम से तुम्हारा क्या संबंध है ? मैं कुछ समझ नहीं पाई और चांदनी क्यों हड़बड़ा गयी ?
शीघ्र ही समझा दूंगी, पार्टी के चक्कर में,अभी मुझे चलना होगा बहुत देर हो गई है , मेरा बेटा मेरी प्रतीक्षा करता होगा।
अचानक ,नीलिमा के इस व्यवहार से, मिसेज खन्ना को लगा-कि यह मेरी, नौकर है या मैं इसकी ,उन लोगों के सामने मैंने इसकी दो-चार तारीफ क्या कर दीं ? यह तो, अपने आप को मेरी मालकिन ही समझने लगी।
मिसेज खन्ना को क्रोध आया किंतु तुरंत ही ,उसे पार्टी में कहे गए शब्द स्मरण हो आए , और अपने आप पर नियंत्रण किया और बोली -आखिर तुम मुझे बताती क्यों नहीं हो ? तुम्हारा और चांदनी का क्या संबंध है ? तुमने मुझे, अपने नाम की जगह 'चंपा 'कहकर बुलाने के लिए क्यों कहा ?
नीलिमा को लगा -शायद, इन्हें बुरा लगा है , शांत स्वर में करीबआकर बोली -अभी मैं ,समय की प्रतीक्षा में हूं ,मैं आपको सारी कहानी बताऊंगी। जिसमें छोड़ने को कुछ भी शेष नहीं रहेगा।
ठीक है ,तुम जाओ ! मिसेज खन्ना उखड़े स्वर में बोली।
मम्मा ! आज आपने बहुत देर कर दी, कहां रह गई थी ? घर आते ही ,बेटी से शिकायत सुनने को मिली। अरे यार....... मैं भी नौकरी करती हूं ,मैं भी समय पर आ जाती हूं और आप हैं कि न जाने क्या करती रहती हैं ? क्या वह आपको, एक्स्ट्रा पैसा देती हैं ?
नहीं ,मेरे बच्चे !एक्स्ट्रा पैसा तो नहीं देतीं , किंतु सम्मान देती है , मन ही मन नीलिमा सोच रही थी -यह सम्मान भी शायद तब तक ही हो ,जब तक वह चांदनी के रहस्य के विषय में नहीं जान लेती और जैसे ही चांदनी के विषय में जानकारी हासिल होगी। शायद मेरे प्रति उसके मन में इतना सम्मान न रहे, इंसान है, सोच और फितरत कभी भी बदल सकती है, इसलिए पूर्ण रूपेण मैं उन पर विश्वास नहीं कर सकती। तब नीलिमा ने पार्टी की सारी घटना अपनी बेटी को सुनाई।
जिसे सुनकर कल्पना बोली - मम्मा ! आप मानोगे नहीं,
मानना या न मानने का प्रश्न ही नहीं उठता , एक तो आदमी गलती करता है, और गलती करने के बावजूद फिर गलतियां दौहरा रहा है ,तो यह मेरे लिए क्षम्य नहीं है ,कहकर नीलिमा अपने बेटे अथर्व के पास चली गई।