Inteqam e mohabbat

 ''मोहब्बत ''ही तो की है ,

बदले में ,मोहब्बत की चाहत थी।

' मोहब्बत 'में रोने वालों, 

जब दिल टूटता है ,

तड़प उठता है। 

चटकता है ,कुछ !

दिल ,रो उठता है। 



जब वो ! !!!!!

गैर की बाहों में,

गुजर जाए,नजरों से ,

अश्रु नहीं, लहू बहता है।

जिसने जख़्म न खाया ,

मोहब्बत में........ 

मोहब्बत की बात करता है।  

मैंने भी तो ,मोहब्बत की, 

उसका साथ ही तो ,चाहा  था। 

उससे आसमाँ  तो नहीं मांगा था। 

उसने दौलत के लिए ठुकराया था।

 रगों में ,आज भी लहू बहता है। 

मेरा दिल रो -रो के कहता है - 

उसके पैरों में अब मोहब्बत, नहीं,

दौलत बरसाऊंगा। 

उसने ठुकराया ........ 

अब इंतक़ाम ए मोहब्बत दिखलाऊंगा। 


बतलाएँ क्या ?



'जज़्बा ए मोहब्बत 'उनको समझाएं क्या ? 

बहता है दरिया ,यहां तो मोहब्बत ए नूर का,

उनका दस्तूर दिल तोड़ना, दिल लगायें क्या ?

उनकी बेवफाई...... अब उन्हें समझाएं क्या ? 

बेफिजूल है,इंतक़ाम ए मोहब्बत, उन्हें बतलाएं क्या ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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