Shrapit kahaniyan [ 11o]

कुछ समझ नहीं आ रहा ,यह सब क्या हो रहा है ? जिंदगी संवारते -संवारते.....  लगता है , बिखर जाएगी। करण की मम्मी, मालिनी जी और प्रभा से बातचीत कर रही थीं -तब उन्होंने ही उन्हें बताया था - गौतमी की कुंडली में'' मंगल दोष'' आ गया था जिसके कारण उनका विवाह नहीं हो सकता था। इस समय सभी परेशानी में थे किसी का भी ध्यान करण की तरफ नहीं था , स्वयं करण भी ,अपने आप में नहीं था। वह चाहता था, कैसे भी हो ? उसका विवाह गौतमी से हो जाए दोनों ही ,एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे और विवाह भी करना चाहते थे, जीवन भर के लिए, एक दूसरे को अपना बना लेना चाहते थे। किंतु इस दोष के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। पंडित जी से बहुत मिन्नतें करने के पश्चात, उन्होंने एक उपाय बतलाया-और खुशी-खुशी वह उपाय किया भी गया। अब तो कोई परेशानी की बात ही नहीं रह गई थी , किंतु जब करण की कुंडली का मिलान किया गया ,तब'' किंतु ''फिर से उसकी कुंडली में आकर टपक गया। शायद दोनों के जीवन में मिलन लिखा ही नहीं था। करण की मम्मी ने अपना मंतव्य मालिनी जी और प्रभा को बताया। 

मुझे लगता है,''किंतु ''शब्द ही उनकी जिंदगी में , किसी शनि की तरह कुंडली मारे बैठा था , प्रभा बोली।

तुम सच ही कह रही हो, मैंने  भी ,पंडित जी से उस किंतु का अर्थ जानना चाहा, जो कुछ भी उन्होंने बताया उसे सुनकर तो, मेरे पैरों तले से जमीन ही खिसक गई। 



ऐसा क्या कह दिया ?उन्होंने मालिनी जी ने प्रश्न किया। 

जो उन्होंने बताया, वह सोचकर मैं अचंभित रह गई , उन्होंने बताया कि करण के ग्रह ऐसे नक्षत्र में बैठे हुए हैं जिससे भी इसका विवाह होगा , उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसके जीवन में दो विवाह का योग था , पहले विवाह के लिए वह नक्षत्र अनिष्ट चाहता था , यानी वह उनके जीवन में फलदाई नहीं होगा। ऐसे समय में करण मुझे देख रहा था ,और मैं उसको , इसमें हम कर भी क्या सकते थे ? आप यह कहेंगी - कि यह कितनी स्वार्थी माँ  है किंतु मैं अपने बेटे का मन भी नहीं मारना चाहती थी, इसीलिए मैंने उससे कहा -यह बात हमारे पंडित जी ने हमें बताई हैं , हम गौतमी के घर वालों को नहीं बताते हैं, और विवाह कर लेते हैं। बाद में जब जैसा होगा, देखा जाएगा।

 किंतु यह बात करण को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी, उसने कहा -'आप यह क्या कह रही हैं मैं उससे विवाह करके जीवन बिताना चाहता हूं ,उसके साथ सुखी- सुखी जीवन व्यतीत करना चाहता हूं ,यदि उसे कुछ हो गया, तो फिर मैं क्या करूंगा ? मैं, इस तरह उसे धोखे में रखकर ,उससे शादी नहीं कर सकता। मैं उससे विवाह करके उसे मारना नहीं चाहता, उसकी उम्र छोटी नहीं करना चाहता।' मुझे तो अपने बेटे का प्रेम नजर आ रहा था, मैं उसकी खुशियों से भरी जिंदगी देखना चाह रही थी। किंतु इस बात को लेकर मैं भी बहुत परेशान थी। अब क्या किया जाए ?परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। करण रात -दिन यही सोच -सोचकर परेशान रहने लगा। मैं खुद भी नहीं समझ पा रही थी , कि क्या किया जाए ?

इस विषय में गौतमी को कुछ भी नहीं मालूम था, वह तो अपने मन में प्रसन्न थी, हमारी तरफ से विवाह की कोई पहल ना देख कर, एक दिन उसने करण को फोन किया-अब किस बात की देरी है? अब तो विवाह में कोई अड़चन नहीं है , आप परिवार वालों से अब  बात कर सकते हैं।

 करण को समझ नहीं आ रहा था, क्या जवाब दे ? सच्चाई बता कर, उसे परेशान भी नहीं करना चाहता था, तब, गौतमी से कहता है अभी इतनी जल्दी क्या है ? कुछ दिन और ठहर जाते हैं किंतु गौतमी अब नहीं मान रही थी, उसे विवाह करने की जल्दी थी किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न होने के कारण वह इसीलिए परेशान हो गई ,कि यह विवाह करना क्यों नहीं चाहता ? या अब मुझसे प्यार नहीं करता।

 एक दिन , वह यहीं घर पर आ गई और बोली -जब परिवार वाले सब खुश हैं ,हमारी तरफ से भी कोई आपत्ति नहीं है'' मंगल दोष'' भी समाप्त करने का प्रयास किया गया है ,अब किस बात की देरी कर रहे हो ?  करण ने उसे टालना चाहा, किंतु वह भी जिद पर अड़ गई, करण तो कुछ भी न कहकर घर से बाहर निकल गया ,किंतु मैंने उसकी परेशानी का कारण गौतमी को समझाया। 

गौतमी बेटा !तुम समझ नहीं रही हो, वह तुम्हारी भलाई के लिए ही ऐसा कर रहा है।

उससे दूर रहकर आंटी जी ! भला इसमें मेरी क्या भलाई हो सकती है ? ऐसा करके वह मुझे दुख दे रहा है इस विवाह के लिए इतने सपने सजाये  इतनी मेहनत की ,मैंने पेड़ से विवाह भी कर लिया ,तब भी वह विवाह नहीं हो रहा है। इसका कारण जानने का तो अधिकार मुझे है। 

वह तुम्हें कभी भी नहीं बतायेगा किंतु जब तुम इतना जिद कर ही रही हो तो ,मैं ही बता देती हूं। उसकी कुंडली में ग्रह नक्षत्र कुछ इस तरह से बैठे हैं कि जब भी उसका विवाह होगा तो उसकी पत्नी की मृत्यु शीघ्र ही हो जाएगी , इसी कारण वह विवाह नहीं करना चाहता , तुम्हें जिंदा देखना चाहता है, हंसते -खेलते देखना चाहता है। 

यह बात सुनकर, गौतमी भी सोच में पड़ गई , कुछ देर यूं ही, सोचते रहने के पश्चात ,उसने कहा-यदि '' मंगल दोष ''का उपाय है तो इसका उपाय भी अवश्य होगा। मैं कल ही अपने पंडित जी से बात करूंगी एक सकारात्मक सोच के साथ वह बोली। 

नहीं, यदि तुम्हारे घर वालों को यह बात पता चल गई तो , कोई भी तुम्हारी शादी करने के लिए तैयार नहीं होगा, विशेषकर तुम्हारी मम्मी , मैंने उसे समझाया। 



तब वह बोली - मैं किसी, सहेली के नाम से , इस समस्या का हल पंडित जी से पूछ लूंगी। 

ठीक है ,जैसी तुम्हारी इच्छा ! किंतु यदि कोई उपाय होता तो हमारे पंडित जी भी बता सकते थे और करण नहीं चाहता कि तुम्हें कुछ भी हो। यह बातें अपने ध्यान में रखना, मैंने उसे चेतावनी भी दी। 

 तभी वह भावुक हो उठी, और बोली- यदि आंटी जी, मुझे खुशी-खुशी उसके साथ चार दिन भी, बिताने पड़ जाएं तो मैं उन चार दिनों में ही खुश रह लूंगी कम से कम यह तो संतुष्टि रहेगी, कि मैं उसके साथ थी और वह मेरे साथ। क्या हुआ ?जो उसके साथ रहकर, उमर मेरी थोड़ी और कम हो जाएगी, उससे विवाह करने का अरमान तो पूरा हो जाएगा और जब मैं मरूंगी तो वह मेरे साथ होगा और उसकी बांहों में होंगी।  

उसकी बातें सुनकर मैं, भावुक उठी ,मैं सोच रही थी- दोनों में कितना प्रेम है ? वह इसकी जान बचाने के लिए विवाह  नहीं करना चाहता और यह उसके साथ जीने के लिए, विवाह करना चाहती है। वह आंखों में आंसू लिए यहां से चली गई।  कुछ दिन बाद तक उसका कोई जवाब नहीं आया ,मैं समझ गई ,उसने यह बात स्वीकार कर ली होगी या उसके पंडित जी ने उसे बता दिया होगा कि इसका कोई उपाय नहीं है। 

एक दिन, करण प्रसन्न होता हुआ आया और बोला-मम्मी में विवाह करने के लिए तैयार हूं। 

 यह तू क्या कह रहा है? क्या तू जानता है ?तेरी पहली पत्नी की शीघ्र ही मृत्यु हो जाएगी। 



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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