Jail 2 [part 46]

बरखा ,कॉलिज के  हॉस्टल में ,विशाल से मिलने जाती है। दोनों उस बंद  कमरे में अपनी ख़ुशी बाँट रहे थे क्योंकि विशाल की नौकरी जो लग गयी थी। तभी कुछ लड़कों के  साथ श्याम आ धमकता है। इस तरह श्याम को कई लड़कों के साथ देखकर ,बरखा सहम जाती है और विशाल के पीछे छुप जाती है। बरखा को इस तरह  विशाल के साथ देखकर ,उसकी आँखों में खून उतर आता है। उसे इस बात का दुःख था कि वो बार -बार बरखा से यही पूछना चाह रहा  था कि उसका विवाह उसकी इच्छा से ही हो रहा है और ये मुझसे बार -बार हाँ कहती रही। मेरे जज्बातों के साथ खेल रही थी।  मैंने इसे कई बार मौका दिया कि यह सच बोले  -यह सब तो मैं पहले ही जान गया था,मुझे पता चल गया था कि ये किसी लड़के से मिलती है ,किन्तु सच्चाई मैं ,इसके मुँह से सुनना चाहता था ,किंतु यह सच्चाई को नकारती  रही, कहते हुए ,क्रोध में ,बरखा की तरफ बढ़ा ,इससे पहले कि वह बरखा का हाथ पकड़ता है या उससे कुछ कहता ,विशाल उनके बीच में आ गया।


 

तब श्याम ने उससे पूछा -वह किस रिश्ते से इसकी ,इतनी परवाह कर रहा है ? यह हमारा आपस का मामला है ,तुम क्यों बीच में पड़ रहे हो और तुम होते भी कौन हो ?हमारे बीच में पड़ने वाले। धीरे-धीरे यह खबर सारे कॉलेज में फैल गई, कि  कॉलेज के हॉस्टल में, कुछ गुंडे जैसे लड़के घुस आए हैं और झगड़ा हो रहा है। धीरे-धीरे वहां बहुत सारी भीड़ इकट्ठी हो गई। श्याम  के दोस्त उस कॉलेज के तो नहीं थे इसीलिए कॉलेज के लड़के उन्हें लताड़ रहे थे। धक्का -मुक्की हो रही थी , जिस कमरे में विशाल ,बरखा से मिलने आता था, वह लड़का भी अब आ गया था। वह बात को समझने का और सुलझाने का प्रयास कर रहा था। श्याम ने उसे बताया ,कि यह मेरी मंगेतर है। 

यदि यह तुम्हारी मंगेतर है तो इससे मिलने क्यों आई है? उस लड़के का सीधा सा सवाल था। 

यह सुनकर श्याम  एकाएक चुप हो गया, फिर बोला यही तो मैं भी ,यहाँ जानने आया हूं, इन दोनों का रिश्ता क्या है ? बाहर के दोस्तों में , कॉलेज के लड़कों से झगड़ा हो गया था क्योंकि वह लड़के कॉलेज के लड़कों से कह रहे थे -कि यहाँ तुम लोगों ने ,अय्याशी का अड्डा बना रखा है। धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गई कि बात  हाथापाई और मारपीट पर आ गई। श्याम  के दोस्त भी कम नहीं थे, पूरी तैयारी के साथ आए थे। तभी एक दोस्त ने, देसी तमंचा निकाल लिया और हवा में फायर कर दिया। 

तब विशाल ,श्याम से बोला -तो तू यहां बंदूक लेकर आया है, हमें मारने आया है , तूने यदि अपनी'' मां का दूध पिया'' है तो,'' आ लगा हाथ ,चला बंदूक'' उसका दोस्त बात को धीरे-धीरे सुलझाने का प्रयास कर रहा था किंतु यह बात कह कर विशाल ने उस बात को और बढ़ा दिया। 

साले..... दूसरे के घर की बहू -बेटियों पर नजर रखता है और अकड़ दिखा रहा है, तेरी हेकड़ी तो मैं निकलूंगा , तुझे दिखलाऊंगा कि मैंने अपनी मां का दूध पिया है किंतु मुझे तो लगता है तूने किसी ''कुतिया  का दूध'' पिया है। 

 श्याम के इतना कहते ही ,विशाल को क्रोध आ गया है और उसने एक जोरदार थप्पड़ श्याम  के मुंह पर जड़ दिया और बोला -अब पता चला, मैंने  किसका दूध पिया है ? साले मेरे सामने तेरी क्या औकात ? तेरे जैसे को नौकरी देता हूं, मैं 

इस थप्पड़ की गूंज,से श्याम का दिमाग सनक गया, अब तुझे मैं, अपनी औकात बताता हूं और वह बाहर की तरफ भागा , उसके जिस दोस्त के हाथ में बंदूक थी उससे उसने बंदूक छीन ली और विशाल को मारने के लिए, दौड़ा आया। तभी विशाल के दोस्त ने आगे बढ़कर उसकी बंदूक को छीनने का प्रयास किया। विशाल, श्याम से लंबा था, उसने आगे बढ़कर वह बंदूक उसे छीन ली क्योंकि उस समय वह अकेला ही था उसके दोस्त कॉलेज के लड़कों से, बाहर हाथापाई में लगे थे। बरखा खड़ी-खड़ी यह सब देख रही थी, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था इतनी भीड़ में और ऐसे में वह क्या करें ? बात बढ़ती जा रही थी।

 तुम दो और मैं अकेला हूं श्याम बोला -सल्ल्ल्ली !! तेरे कारण ही यह झगड़ा हो रहा है  और कैसे खड़े होकर देख रही है उसका सारा गुस्सा अब बरखा पर उतरने वाला था। वह उसकी ओर बढ़ा तुझे नहीं छोडूंगा ,रंडी !!मुझसे सगाई करके रंगरलिया इसके साथ मना रही है। सब तेरा ही किया धरा है, तेरे कारण आज मेरी इतनी बेइज्जती हुई है , तुझे नहीं छोडूंगा।

 विशाल थोड़ा दूर खड़ा था, बोला -उसे हाथ भी मत लगाना , वह तेरी कुछ भी नहीं लगती। 

मेरी कुछ नहीं लगती, तू क्या इसका दलाल है ? श्याम  ने भी प्रति उत्तर दिया,इसे कोठे पर नचवायेगा। इससे धंधा करवाएगा। 

तू हद से ज्यादा मत बोल , क्रोधित होते हुए विशाल ने कहा। 

बोलूंगा ,तेरे बाप का दिया नहीं खाता ,तूने जो अपने धंधे के लिए रंडी पाली हुई है। 

तेरी इतनी औकात ! कहते हुए ,विशाल श्याम की तरफ बढा , तभी उसके दोस्त ने उसका हाथ खींच लिया बोला -इसे बकने दे , कुत्ता है ,भोंक - भांककर चुप हो जाएगा। 



कुत्ता होगा तू ,तेरा सारा खानदान ! अपमान से  श्याम बुरी तरह, झुलस रहा था। उसकी जुबान अंगारे उगल रही थी। उसका मन कर रहा था ,कि बरखा उसके हाथ लग जाए और वह उसे वहीं पर जान से मार दे !

 तभी फिर से विशाल से बोला - अरे, मुझे तो लगता है,इसकी माँ भी धंधा करती होगी ,ये तो इसी ख़ानदान का लग रहा है। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक चीख़ के साथ श्याम लड़खड़ाकर गिर गया , चीख इतनी हृदय विदारक थी, कि बाहर भी शांति हो गई ,किसी अनहोनी की आशंका से ,उसके दोस्त अंदर की तरफ भागे। वहां जाकर देखा ,श्याम खून से लथपथ जमीन में पड़ा था। विशाल के हाथ की बंदूक धुआँ  छोड़ रही थी। परिस्थिति को समझते हुए , और अपनी गलती का अहसास होते ही, खिड़की के रास्ते विशाल भाग खड़ा हुआ।

वहां पर अफरा -तफरी मच गयी। क्या हुआ ,कैसे हुआ ?जैसे सवाल सभी के मुँह और मन में थे। कुछ लड़कों ने भागकर ,विशाल को पकड़ने का प्रयास किया किन्तु तब तक ,ये पता नहीं ,वो कहाँ  छुप गया ?या भागने में सफल हुआ। 

तब तक किसी ने पुलिस को भी फोन कर दिया कि बाहर से कुछ लड़के कॉलिज में आये और झगड़ा किया और गोली चल गयी।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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