Jaadui school

''जादुई स्कूल,'' जहां पर मां के प्यार की छड़ी घूमती है , और जीवन सपनों सा नजर आता है। पिता की  मेहनत की छड़ी घूमती है , अपनापन और विश्वास नजर आता है। प्यार ,विश्वास ,अपनापन जिंदगी को जीने की ललक , जीवन में नई उड़ान भरने के सपने देखे। सीखा.....  कल्पनाओं की सी दुनिया में जीना , नाजुक नाज़ों  से पली ,वह लड़की , वह जिंदगी के स्कूल में कदम रखती है। वह तो परी है ,उड़ना चाहती है , किंतु यह 'बचपन का स्कूल' उसे जिंदगी के अनुभव नहीं देता , इसीलिए वह उड़कर किसी दूसरे जहां में चली जाती है। कहने  को तो वह उसका 'ससुराल 'भी कह सकते हैं। किंतु यह उसका दूसरा ''जादुई स्कूल'' है। जो उसे सपनों की दुनिया से बाहर लाता है, हकीकत के धरातल पर, छोड़ देता है। यहां इस स्कूल में रहकर वह दुनियादारी, सामाजिक व्यवस्था, लोगों के आचार -विचार यहां तक कि वह ,अपने आप को भी समझने लगती है। 


यह कैसा जादू स्कूल है ? जो सुंदर सजीले ख्वाब सजाता है, और धीरे-धीरे उसे, जिंदगी की सच्चाई के धरातल पर, ले आता है।  जब उसके कोमल कदम उस पर पड़ते हैं ,तब उसे जिंदगी का असल स्कूल दिखलाई पड़ता है ,एक स्कूल वह जहां ,अभी वह ख्वाबों की दुनिया में थी। दूसरा वह जो उसे जिंदगी जीना सिखाता है तब उसे एहसास होता है यह दुनिया ख्वाबों की दुनिया ही नहीं, रिश्तो भरा प्यारा सा' जादूई  संसार'' है, रिश्तों  को समझती है और जानने लगती है। तब उसे यह जादूई स्कूल कष्टमय नजर आता है, उसका जादू धीरे-धीरे छँटने लगता है और तब अपनी आत्मा को उन कष्टों से दूर कर  'परम शांति 'की तलाश में भटकती है। उसे तो यहां रहना ही नहीं जो अपने थे ,वही अपने ना हुए ,परायों को अपनाया कर्तव्य निभाया ,अधिकार भी जतलाया किंतु यह भी छोड़ कर जाना है। जिंदगी में पलटकर , जब देखती  है ,तो यह जिंदगी उसे 'जादुई' नजर आती है। क्या से क्या हो गई ,कहां से कहां पहुंच गई.अभी भी , उसकी यात्रा समाप्त नहीं हुई। 

उसे तो जाना है, किसी नई राह पर अपना फर्ज निभाना है सब जादूई  नजर आता है ,जब वही बच्चे जिन्हें पाला , वह भी कोई अपना नजर नहीं आता है। भ्रमित करता जादू बिखरा है जादूई  छड़ी घूमेगी ,सब रिश्ते- नाते, दुनिया सब छोड़ जाना है।  सीखा बहुत कुछ और सिखाया भी उद्देश्य एक ही था -''सुख की तलाश '' जब वह मिला सब जादू छँट  गया। भ्र्म धुल गया ,सुकून भरी जिंदगी नजर आती है ,सीख उस स्कूल से ,जो आया था अपने घर गया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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