इंटरनेट के जाल में फंस गए सब ,
कहने को रहा नहीं ,कुछ अब..... ,
इसने न जाने ,क्या गज़ब कर डाला ?
सभी को आप 'हमदर्द', दोस्त बना डाला।
सभी ने इसे ,प्यार से ' शहंशाह 'बना डाला।
सभी पर चलती है..... आज इसकी ''हुकूमत'' ,
''हुकूमत ''इसकी ,किसी के मन पर बोझ नहीं ,
सभी ने इसे अपने प्यार से सराबोर कर डाला।
खुश मन क्या करे ?सभी को अपनी बांटी ख़ुशी.. ।
दुःखी मन को भी ,इसने शायर ,कवि बना डाला।
दूर बैठे, किसी अपने को ,प्यारा संदेश सुना डाला।
अकेला होकर भी अकेला नहीं रहा, इंसान कोई ,
सभी को मिलवाकर ,इक -दूजे का मित्र बना डाला।
व्यस्त रहें सभी , लोगों को इसने , काम भी दे डाला।
सारी दुनिया पर इसने ,अपना प्रभुत्व जमा डाला....
इंटरनेट ! आला रे आला... आला रे आला....