Internet ala re ala....

 इंटरनेट के जाल में फंस गए सब ,

 कहने को रहा नहीं ,कुछ अब.....  ,

इसने न जाने ,क्या गज़ब कर डाला ?

सभी को आप 'हमदर्द', दोस्त बना डाला। 


सभी ने इसे ,प्यार से ' शहंशाह 'बना डाला। 

सभी पर चलती है..... आज इसकी ''हुकूमत'' ,

''हुकूमत ''इसकी ,किसी के मन पर बोझ नहीं ,

सभी ने इसे अपने प्यार से सराबोर कर डाला। 

खुश मन क्या करे ?सभी को अपनी बांटी ख़ुशी.. । 

दुःखी मन को भी ,इसने शायर ,कवि बना डाला। 

दूर बैठे, किसी अपने को ,प्यारा संदेश सुना डाला।

अकेला होकर भी अकेला नहीं रहा, इंसान  कोई ,

सभी को मिलवाकर ,इक -दूजे का मित्र बना डाला। 

 व्यस्त रहें सभी , लोगों को इसने , काम भी दे डाला।

सारी दुनिया पर इसने ,अपना प्रभुत्व जमा डाला.... 

इंटरनेट ! आला रे आला... आला रे आला....   

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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