जब चलना सीखा ,तूने हाथ थाम लिया
जब दौड़ना सीखा ,तूने समझा दिया।
तू हरदम संग रहा ,जब जीवन जिया।
माता -पिता के रूप में ,दीखता रहा।
समय -समय पर ,आगाह करता रहा।
मैं अपनी उलझने ,अपनी समझता रहा।
तुझसे अलग ,अपने -आपको भुलाता रहा।
तकदीर की लकीरों को ,सुलझाता रहा।
पुकारा तूने ,मैं अनसुना करता रहा।
संभाला तूने ,मैं अनदेखा करता रहा।
रोका तूने ,मैं अपनी राह चलता रहा।
मैं भटकता रहा ,तू संभालता रहा।
तू मेरे साथ रहा ,मैं समझ नहीं पाया ,
तू अन्तर्ध्यान रहा ,मैं देख नहीं पाया।
मेरी भटकाव का अंत तूने कर दिया।
सांसारिक चक्रव्यूह से निकाल दिया।
जब तूने मेरा हाथ ,थाम लिया।
मुझे अपने आप से मिला दिया।
जब तूने मेरा हाथ थाम लिया।
तकदीर के लिखे को बदल दिया।
जब तूने मेरा हाथ ,थाम लिया।