Jab tune tham liya

 जब चलना सीखा ,तूने हाथ थाम लिया 
 जब दौड़ना सीखा ,तूने समझा दिया। 
  तू  हरदम  संग रहा ,जब जीवन जिया। 
 माता -पिता के रूप में ,दीखता रहा। 
 समय -समय पर ,आगाह करता रहा। 
 मैं अपनी उलझने ,अपनी समझता रहा। 
 तुझसे अलग ,अपने -आपको भुलाता रहा। 
 मैं जीवन की उलझनों में ,उलझा रहा। 

 तकदीर की लकीरों को ,सुलझाता रहा।
 पुकारा तूने ,मैं अनसुना करता रहा। 
 संभाला तूने ,मैं अनदेखा करता रहा।
 रोका तूने ,मैं अपनी राह चलता रहा।
 मैं भटकता रहा ,तू संभालता रहा।   
 तू मेरे  साथ रहा ,मैं समझ नहीं पाया ,
 तू अन्तर्ध्यान रहा ,मैं देख नहीं पाया। 
मेरी भटकाव का अंत तूने कर दिया।
सांसारिक चक्रव्यूह से निकाल दिया।  
जब तूने मेरा हाथ ,थाम लिया। 
मुझे अपने आप से मिला दिया।
 जब तूने मेरा हाथ थाम लिया।
तकदीर के लिखे को बदल दिया।
जब तूने मेरा  हाथ ,थाम लिया।  

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post