achchha nhi lagta

सुनो !
कुछ अनकही बातें ,जो कहना चाहती हूँ। 
जो मैं चाहते हुए भी ,नहीं कह पाई।
 सुनो !
जब तुम मुस्कुराते हुए ,मेरी तरफ देखते ,
मुझे अच्छा लगता है  , किन्तु -
अपने दोस्तों के संग ,मुझे भुला देना ,
 मुझे अच्छा नहीं लगता ।
सुनो !
तुम्हारे हर दुख -दर्द में,' मैं 'संग रही ,
तुम्हारा साथ मुझे अच्छा लगता है। 
किन्तु ,संग होते हुए भी ,मेरी अवहेलना की ,
मुझे अच्छा नहीं लगता । 
सुनो !
तुम एक ज़िम्मेदार व्यक्ति हो ,मुझे अच्छा लगता है। 
किन्तु ,बात -बात पर मुझे गलत ,
ठहराना मुझे अच्छा नहीं लगता । 

सुनो !
तुम्हारा सबकी इच्छाओं का ख़्याल रखना ,
मुझे अच्छा लगता है। 
किन्तु , इन सबमें मुझे भूला देना ,अच्छा नहीं लगता । 
सुनो !
तुम्हारा प्यार भरी बातें करना ,मुझे अच्छा लगता है। 
किन्तु सबके समक्ष ,मेरा तिरस्कार ,मुझे अच्छा नहीं लगता। 
सुनो !
तुम्हारे लिए ,मुझे सजना -संवरना ,अच्छा लगता है। 
तुम्हारा मुझे इस तरह ,नजरअंदाज करना ,अच्छा नहीं लगता। 
सुनो !
कुछ अनकही ,ऐसी बातें है ,
जीवनभर साथ निभाने पर भी ,तुम मुझे समझ नहीं पाए ,
इस तरह तुम्हारा, मुझे न समझना ,अच्छा नहीं लगता । 

 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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