Ghatiyon ke beech ek shahr [ part 7 ]

 राजा ''प्रज्ञासेन '' ऋतू और  दिव्या से बातें  करते  हैं और उन्हें बताते हैं -उन दोनों को ही अपने मित्रों  को छुड़ाना होगा  क्योंकि ''ज्ञानयोगी ''बहुत ही पहुंचा हुआ तांत्रिक है ,उसने पाताल नगरी पर अपना आ धिपत्य स्थापित किया हुआ है और  अपनी काली शक्तियों के माध्यम से, वो बाहर से आये लोगों को ,अपने वश में कर ,अपने कार्य करवाता है। उसने हमारे लोगों को भी अपने वश में कर ,अपना स्वार्थ सिद्ध किया- जिसके परिणामस्वरूप ,आज वो अजूबा गांव में ,अपनी सजा भुगत रहे हैं। हम उसको हराने के लिए तुम लोगों की सहायता कर सकते हैं क्योंकि हम पाताल नगरी में प्रवेश नहीं कर सकते। तब ऋतू और दिव्या दोनों अपने दोस्तों को छुड़ाने के लिए तैयार हो जाती हैं और वो सबसे पहले कार्तिक को, उस'' जादुई  जंगल ''की कैद से छुड़ाती हैं। वो उस जंगल में '' पवित्र जल ''का प्रयोग करती हैं, जिस कारण जंगल की  जादुई शक्ति कमजोर पड़ जाती है। इससे पहले की जंगल का अहित हो , वो तीनों उस जंगल से बाहर निकलने के लिए ,एक ऊँचे पेड़ पर चढ़कर , उससे नीचे कूदते हैं। तभी उस जंगल में आग लग जाती है।अब आगे -

जैसे ही वो तीनों कूदे ,ये क्या ?वो तो जैसे हलके  हो गए और वे आराम से किसी पंछी की तरह ,उड़ रहे थे। कार्तिक जो कूदने से ड़र  रहा था ,अब वो उस उड़ान के मजे ले रहा था। उनका उद्देश्य उड़ते हुए ''पाताल नगरी ''की अग्नि को पार करना था। ऋतू ने कार्तिक को डाँटा -यहाँ तुम मजे लेने नहीं आये हो ,हमें  अपने दो दोस्त और भी छुड़ाने हैं। जल्दी ही हमें, ''पाताल नगरी ''की  अग्नि पार करनी होगी ,वरना  हम उसे  किसी तरह भी पार नहीं कर पायेंगे। फिर हम यहीं फंसे रह जायेंगे ,इसीलिए शीघ्र अति शीघ्र हमें इसे पार करना होगा। कार्तिक बोला -मैं पहली बार ऐसे उडा  हूँ ,इस उड़ान का थोड़ा तो मज़ा लेने दो।मुझे तो ऐसा एहसास हो रहा है ,जैसे -रावण की लंका में आग लगाकर ,हनुमान जी उड़े होंगे। वो देखों -तुम्हारे ''क्रीचर ''का जंगल कैसे जल रहा है ?  दिव्या बोली -हमें  शीघ्र ही पाताल नगरी की जो अग्नि दिख रही है ,उसके पार  जाना है ,इस अग्नि को हम पानी से भी नहीं बुझा सकते और हमारे पास समय बहुत कम है। मन मारते हुए कार्तिक ,उस अग्नि की ओर उड़ने लगा। वो दोनों तो नीचे ,उतरने लगीं ,तभी  अचानक कार्तिक के हाथ से पंख छूट गया और वो तेजी से नीचे गिरने लगा। वो जोर से चीखा ,तब दोनों लड़कियों का ध्यान उसकी तरफ़ गया और दोनों ने एक -दूसरे का हाथ पकड़ा और ऊपर उड़ चलीं , गिरते हुए कार्तिक को बचाया। वो पहले ही वजन में भारी था ,उसे संभालने में उन  दोनों का संतुलन भी बिगड़ने लगा किन्तु दोनों ने साहस नहीं छोड़ा और वे उसे उतारकर सकुशल पृथ्वी पर ले आयीं। 
दिव्या बोली -खा -खाकर इतने भारी हो गए हो ,उस पर इतनी लापरवाही ,यहां हम कोई ''पिकनिक ''मनाने नहीं आये ,हमें अपने दोस्तों को भी छुड़ाना है। मदद नहीं कर सकते ,तो हमारा समय भी बर्बाद  मत करो।हमारे पास जो भी सामान है ,वो सीमित मात्रा में है। बताओ !वो पंख तुमने कहाँ गिरा दिया ?ऋतू बोली -अब उस पंख को ढूंढने में समय मत गंवाओ। दिव्या बोली -वापस जाने के लिए उसकी आवश्यकता पड़ी तो कैसे वापस जायेंगे ?शायद अब उसकी आवश्यता नहीं पड़ेगी, कहकर  ऋतू आगे बढ़ गयी। तीनों वहाँ छोटे  -छोटे ,टीलों और पत्थरों की आड़ में छुपकर आगे बढ़ने लगे। फिर एक गलियारे जैसी जगह में पहुंच गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था  कि वे कहाँ  हैं और उन्हें कहाँ जाना है ?ऋतू बोली -कुछ तो ऐसी चीज मिलेगी ,जिससे हमें लड़ना भी पड़ सकता है और अपना बचाव भी करना पड़ सकता है। हम तीनों अलग -अलग होकर ,अपने दोस्तों को ढूंढते हैं ,जिसे मिल जाएँ ,वही उस चट्टान पर आ जाना और अपनी सुरक्षा भी करना। कार्तिक बोला -मैं तो वैसे ही फंस जाऊंगा क्योंकि तुम्हारे पास तो उन बाबा की दी शक्तियां हैं। ये बात ऋतू और दिव्या को सही लगी ,ऋतू बोली -ठीक है ,तुम यहीं -कहीं किसी चट्टान के पीछे छिप जाओ ,अपना बचाव करते हुए ,तुम आस -पास नजर रखना ,हम दोनों जाती हैं। कार्तिक के छुपने के पश्चात वो दोनों ,उस गलियारे में पुनः आ गयीं। तब दिव्या ने एक आईना निकाला और उसमें देखने लगी।

उस आईने में उसने देखा कि वो एक कमरे में खड़ी है ,यानि कि  वो स्थान दिखने में एक गलियारा था ,उस पर गुफा  बनी  थी  जो अदृश्य थी । ऋतू से बोली -तुम भी अपना आईना निकाल लो। और उसके आधार पर इन गुफ़ाओं  में देखो -कहीं  कुछ मिलता है ,दोनों अलग -अलग दिशा में चली गयीं तभी एक गुफ़ा  में ,उसे ''ज्ञानयोगी ''पूजा में तल्लीन दिखता है ,दिव्या ने अपना आईना अपनी जेब में डाला ही था कि ''ज्ञानयोगी ''की आवाज़ गूँजी ,--आ गयीं तुम ,अब तुम्हारे इस शरीर का उपयोग करके मैं अपनी और सिद्धियां प्राप्त करूंगा। दिव्या का हाथ अपनी जेब में जाने ही वाला था तभी बिजली की तेजी से ,वो पलटा और अपने हाथों से एक प्रकाश छोड़ा ,जिसकी कैद में दिव्या आ गयी। कोई अदृश्य रस्सी थी जिससे दिव्या अपने आपको छुड़ा  नहीं पा  रही थी।वो बोला -तुम मेरे जंगल को नष्ट करो और मेरी नगरी में चले आओ ,क्या मुझे पता ही नहीं चलेगा ?यहां के कण कण में मेरी शक्तियां हैं जो मुझे मेरे अपने दुश्मनों से सचेत करती हैं ,तुम्हारे साथ और कौन -कौन है ?जहाँ तक मेरी शक्ति बताती है ,तुम अकेली नहीं हो, जो कोई और भी तुम्हारे संग है ,वह भी पकड़ा जायेगा कहकर वो उस अदृश्य गुफा से बाहर आ गया। दिव्या ने अपने को छुड़ाने का बहुत ही प्रयत्न किया किन्तु उसके बंधन को वह तोड़ न सकी। 

उधर ऋतू ने अपने आईने में ,उस योगी और दिव्या दोनों को देख लिया और अपने को छुपाने के लिए उसने अपने ऊपर एक द्रव्य छिड़का और उसके ऊपर एक कपड़ा ओढ़ लिया।  जिसके कारण वो योगी तो क्या ,उसके उन, मरे शैतानों को भी नहीं दिखेगी।उस पवित्र जल के कारण ,वो उसकी गंध किसी को भी नहीं आयेगी। इसी तरह वो अपने दोस्तों को ढूंढने में लगी रही किन्तु उसे कोई भी नहीं दिखा। न ही राहुल न ही मेहुल फिर वो कार्तिक के पास जाती है और उसे बताती है- कि उस ''ज्ञानयोगी ''ने दिव्या को पकड़ लिया है  ,पता नहीं ,उसके साथ कैसा व्यवहार करेगा ? तुम भी अपना ध्यान रखना ,कहकर वो उसके ऊपर जल छिड़कती है ,कहती है -उसे पता है- कि दिव्या के साथ और भी लोग हैं ,किन्तु कितने ?उसे ये नहीं पता। कार्तिक घबराकर बोला -अब क्या होगा ?राहुल ,मेहुल भी नहीं दिखे। पता नहीं ,वो लोग कहाँ और कैसे हैं ?तुम यहां आराम से बैठो ,मैं देखती हूँ और किसी तरह दिव्या को उस योगी की कैद से छुड़ाती हूँ। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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