Khushiyan mere dar aao to

ख़ुशियाँ मेरे दर ,आओ तो !
कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी सी, ख़ुशियाँ दे जाओ तो ,
मैं अपलक सपने देख रही ,
रंगोली से ,जीवन के रंगों से  ,
दर अपना सजा रही ,
इस दर पर अपना पग बढ़ाओ तो ,
खुशियां मेरे दर आओ तो ,

कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी सी , ख़ुशियाँ दे जाओ तो !
जल लोटा ,लिए खड़ी हूँ ,
अभिनंदन है ,तुम्हारा ,
पुष्पों से मार्ग सजा रही। 
 खुशियां मेरे दर आओ तो ,
आते ही  अपना रंग ,दिखाओ तो !
कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी सी ,ख़ुशियाँ दे जाओ तो ,
बरसों से तुम्हें ,रही पुकार !
अब आकर दर्शन दे जाओ तो !
घर -आँगन मेरा खुला पड़ा है। 
जब भी समय मिले, आ जाओ तो !
ख़ुशियाँ मेरे दर आओ तो !
कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी खुशियां ,दे जाओ तो !
बरसों से ,ये दर्द पला  है ,
न चाहते भी ,दिन -रात बढ़ा है। 
इससे पिंड ,छुड़ाओ तो !
ख़ुशियाँ मेरे दर ,आओ तो !
कब से पथ निहार रही ? 
थोड़ी सी ,खुशियां दे जाओ तो !
ग़म ने 'तजुर्बे ''दिए बहुत ,
अब  न और सताओ जी ,
मेरी सुध ,ले जाओ जी ,
जीवन के कुछ पल ,स्मरणीय बनाओ तो !
इस झोली में ,कुछ ख़ुशियाँ दे जाओ तो !
अपने आने पर ,मेरा घर -आँगन महकाओ तो !
कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी खुशियां दे जाओ तो !
ख़ुशी !जब भी मेरे घर आना। 
मुझे अपना ''जलवा ''दिखाना। 
 तू मिलेगी ,कहाँ ?
भावों में या दिलों में ,
अपनों में या सपनों में , 
ज़रूरत मंदों में या दौलतमंदों में ,
दीयों से ,प्रशस्त पथ तुम्हारा ,
कैसे भी हो ?चली आओ तो !
ख़ुशियाँ मेरे दर आओ तो !
कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी सी ,ख़ुशियाँ दे जाओ तो !
कैसे ,आओगी ?ये हमें बतलाओ तो !
घोडा -गाड़ी से या वायुयान से ,
प्रेम भेजती हूँ ,पास तुम्हारे ,
उस पर बैठ चली आओ तो !
कब से दर पर खड़ी हुई हूँ ?
अब न देर कराओ तो ,
खुशियां ! मेरे घर आओ तो !
कब से पथ निहार रही ?
थोड़ी ख़ुशियाँ, दे जाओ तो !


 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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