अंधकार तनिक गहरा होगा।
प्रकाश पर भी पहरा होगा ,
रात जब ढल जाएगी ,
सूरज को तब आना होगा।
मौसम बदला , पतझड़ होगा।
फिर से मौसम बदलेगा ,
बहार आयेगी ,गुलशन फिर भरा होगा।
हो समय कितना भी भारी ,
उम्मीद की किरण, कभी न हारी।
तन्हाइयों में लिपटे ,तन्हा बैठे हैं।
अपनों के दुःख से, सिमटे बैठे हैं।
वो समय नहीं रहा ,ये भी जायेगा।
रात के बाद ,दिन ही आयेगा।
उम्मीद न हार ,ए मुसाफिर ,
वो खुशियाँ नही रहीं ,दुःख भी जायेगा।
सफ़र पर तू ,अकेला बढ़ता जा ,
कारवां अपने -आप ,बनता जायेगा।
माना कि सूने हैं ,सभी गली -कूंचे ,
तू देखना ,यहां मेला भी लग जायेगा।
दर्द को झुकना होगा ,रंज को रुकना होगा।
फिर से बहार होगी ,फिर बसंत आएगा।
मधुप फिर मंडराएंगे ,पुष्पों का मेला होगा।
गीत फिर गुनगुनायेगी ,सावन पर जब झूला होगा।