Badli Bayaar

अंधकार तनिक गहरा होगा। 
 प्रकाश पर भी पहरा होगा ,
 रात जब ढल जाएगी ,
 सूरज को तब आना होगा। 

 मौसम बदला , पतझड़ होगा।
 फिर से मौसम बदलेगा ,
 बहार आयेगी ,गुलशन फिर भरा होगा। 
 हर डाली पर  ,पुष्प खिला होगा। 


हो समय कितना भी भारी ,
उम्मीद की किरण, कभी न हारी। 
तन्हाइयों में लिपटे ,तन्हा बैठे हैं। 
अपनों के दुःख से, सिमटे बैठे हैं। 

वो समय नहीं रहा ,ये भी जायेगा। 
रात के बाद ,दिन ही आयेगा। 
 उम्मीद न हार ,ए मुसाफिर ,
वो खुशियाँ नही रहीं ,दुःख भी जायेगा। 

सफ़र पर  तू ,अकेला बढ़ता जा ,
कारवां अपने -आप ,बनता जायेगा। 
माना कि सूने हैं ,सभी गली -कूंचे ,
तू देखना ,यहां मेला भी लग जायेगा। 

दर्द को झुकना होगा ,रंज को रुकना होगा। 
फिर से बहार  होगी ,फिर बसंत आएगा। 
मधुप फिर मंडराएंगे ,पुष्पों का मेला होगा। 
गीत फिर गुनगुनायेगी ,सावन पर जब झूला होगा। 
 
 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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