paati

 तुम दूर ही सही ,'पाती' बन आ जाना। 
कुछ अपनी कहना ,कुछ मेरी भी सुन जाना। 
तुमको पढ़ मैं ,सीने में छुपा लूँगी ,
तुम मेरी धड़कन ही बन जाना। 
उस' पाती 'के मोती ,मेरे दिल का सुकून होंगे।
मेरे दिल को भी कुछ आस बंधा जाना। 
तुम्हारी 'पाती ''तुम्हारे ह्रदय का रंग हो ,
उस रंग में मुझे भी रंग जाना। 
तुम दूर ही सही 'पाती 'बन आ जाना। 
कुछ अपनी कहना ,कुछ मेरी भी सुन जाना।
 
उस' पाती ' में ,मैं तुम्हें देख पाऊँ ,
तुम मेरे मन में उतर आना। 
याद में तुम्हारी ,जो बहे मेरे 'अश्रु ,
उस' पाती 'में अपनी मुस्कुराहट भिजवाना। 
उस'' पाती ''के' रंग ओ खुशबू' से। 
मुझे अपने' रंग ओ खुशबू 'में भिगो जाना। 
तुम दूर ही सही ,पाती बन आ जाना। 
कुछ अपनी सुनाना ,कुछ मेरी भी सुन जाना। 

मेरा दिल पुकारे तुम्हें बार -बार ,किया तेरा इंतजार ,
अब आकर कुछ तो ढांढ़स बंधा जाना। 
छुपा लूँगी तुम्हें ,गैरों की नज़र से ,
बस तुम ,तुम बस मेरे लिए ही आ जाना। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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