कुछ दिन पहले ,मैं अपने गांव गया।
देखा ध्यान से ,तो गांव कितना बदल गया ?
जिस पर कभी मैं ,लटकता ,चढ़ता ,
उसकी जगह ,ताऊजी ,के दोमंजिले ने ले लिया।
देखा ध्यान से ,तो गांव कितना बदल गया ?
कुछ दिन पहले ,मैं अपने गांव गया।
जहाँ खेलते थे कभी ,गुल्ली -डंडा ,
रबड़ का पहिया ,कंचे ,कभी करते थे झगड़ा।
उस कच्ची सड़क का स्थान ,अब पक्की ने ले लिया।
देखा ध्यान से ,तो गांव कितना बदल गया ?
कुछ दिन पहले ,मैं अपने गांव गया।
जहाँ कभी बंधते थे ,गाय ,भैंस और घोड़े ,
अब वो स्थान ,मोटर गाड़ियों ने ले लिया।
देखा ध्यान से, तो मेरा गांव कितना बदल गया ?
जहां कभी ,मिलता था पीने को दूध ,
उसका स्थान चाय और बोतल ने ले लिया।
कुछ दिन पहले ,मैं अपने गांव गया।
मुझे देख, मेरा गांव मुस्कुराया -
मैंने पूछा ,तू इतना ,कैसे बदल गया ?
वो हँसा ,मुस्कुराया और बोला -
तू भी तो उन्नति कर गया ,मैंने सोचा -
ज़माना बदल रहा है ,मैं भी बदल गया।
कुछ दिन पहले ,मैं अपने गांव गया।
तू छोटा था ,मुझे गंवार कह छोड़ गया।
बड़ा हुआ तो छोड़ गया ,तू भी तो कितना बदल गया ?
मेरा भी ''शहरीकरण'' हो गया।
भाई !गलती न तेरी है ,न मेरी।
रीत ही कुछ ऐसी चली है ,मुझे भी शहरी बुखार चढ़ गया।
कुछ दिन पहले ,मैं अपने गांव गया।
देखा ध्यान से ,तो गांव कितना बदल गया ?
