संजय को भेजकर दीपांशा बहुत देर तक परेशान रही ,उसका इस तरह मेरे घर आना ,उसे अच्छा नहीं लग रहा था। शाम को नितिन आने वाले हैं ,पहले तो सोचा ,उन्हें नहीं बताऊँगी। फिर सोचा -किसी और से उन्हें इस बात का पता चले ,उससे पहले मैं ही क्यों न बता दूँ ?शाम को नितिन जब घर आये तो दिपांशा बोली -आज दोपहर संजय आया था। नितिन बोला -कौन संजय ?मेरी मम्मी की सहेली का बेटा और मेरा सहपाठी भी रह चुका था दिपांशा ने बताया। नितिन ने सिर्फ इतना कहा -ठीक है ,फिर बोले -रुका नहीं थोड़ी देर। रुका था ,नाश्ता भी किया था दिपांशा बोली। क्यों उसे खाना -वाना नहीं खिलाया ?वे बोले। नहीं ,थोड़ी देर के लिए ही आया था ,इधर कोई काम था उसका दिपांशा ने बात बनाई। नितिन खाना खाने के लिए नीचे आये ,खाना कहते समय नितिन की मम्मी ने संजय के बारे में बताया। नितिन सुनकर बोले -हां अभी थोड़ी देर पहले ही दिपांशा ने बताया। मैं मन ही मन सोच रही थी 'अच्छा हुआ मैंने पहले ही नितिन को सब कुछ बता दिया ''वरना पता नहीं क्या सोचते ?
एक सप्ताह बाद संजय का फोन आया। उधर से आवाज आई -क्या तुम मुझे भूल गयीं ,क्या हमारा प्यार ,प्यार नहीं था। क्या हमारा प्यार सच्चा नहीं था ?तुम इतनी जल्दी मुझे कैसे भुला सकती हो ?उसकी बातें सुनकर दिपांशा बोली -संजय! तुम अब मुझसे क्या चाहते हो ?वो बोला -मैं सिर्फ़ तुम्हें चाहता हूँ ,तुम्हें पाना चाहता हूँ। उसकी बातें सुनकर दिपांशा खीझकर बोली -तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रहे हो ?वो जल्दबाजी में बोला -हाँ ,तुम उसे तलाक़ दे दो ,मैं तुमसे ही विवाह करूंगा। संजय ....... वो लगभग चींखी। तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो ?मैं शादी -शुदा हूँ ,विवाह कोई गुड्डे -गुड़ियों का खेल नहीं कि तुमने कहा ,और मैं तलाक़ दे दूँ। तुमसे शादी के लिए उस इंसान को तलाक दे दूँ जिसे कुछ पता ही नहीं ,न ही उसकी कोई गलती है। तुम प्यार का दावा करते हो तो ये तुम्हारा प्यार तब कहाँ गया था ?तब ये हिम्मत दिखाते ,जब मेरे घरवाले मेरा विवाह कर रहे थे। तब मेरे घर आकर कहते कि मैं इससे प्यार करता हूँ ,थोड़ा इंतजार करें ,मैं इससे विवाह करूंगा। अभी मैं नौकरी ढूँढ रहा हूँ। कुछ तो कहते ,तब पता नहीं कहाँ दुबक गए थे ?अब मेरे ससुराल में अपने प्यार का झंडा लेकर आ धमके।' मेरा घर तोड़ने ''ये शब्द सुनते ही संजय थोड़ा आहत हुआ ,बोला -क्या तुम मुझे प्यार नहीं करतीं थीं ,दिपांशा चुप रही बताओ? उसकी आवाज़ फिर से गूँजी। हाँ ,करती थी, एकाएक वो बोली। तो क्या ,अब नहीं करतीं वो उससे बार -बार कुरेदकर पूछे जा रहा था। क्या तुम्हारा वो प्यार झूठा था ?उसने पूछा। नहीं, मेरा प्यार झूठा नहीं था दिपांशा बोली। उसने अपनी बात जारी रखी बोली -मेरा प्यार सच्चा था लेकिन एक सच ये भी है कि अब मैं किसी की पत्नी हूँ ?किसी के घर की बहु हूँ। उस घर का मान हूँ। नितिन बहुत ही अच्छे हैं इसमें उनकी क्या गलती है ?जो मैं उनके प्यार और विश्वास को धोखा दूँ ,तुम मेरा बिता कल हो ,आज नहीं ,जिसे मैं बहुत पहले ही छोड़ आई हूँ। कहकर उसने फोन रख दिया।
फोन रखकर दिपांशा रोने लगी ,रोते हुए वो बोल रही थी -मेरी जिंदगी शांति से गुजर रही है ,उसमें हलचल पैदा न करो। मैं तुम्हें प्यार करती थी ,ये सच है, लेकिन अब मैं उस इंसान को प्यार करती हूँ ,जिसने मेरे प्यार और विश्वास पर भरोसा किया ,ये भी उतना ही सच है। मेरा दिल तुम्हारे कारण टूटा, तो दिल टूटने का दर्द कैसा होता है ?ये मैं अच्छे से समझती हूँ। उस दर्द को मैं नितिन को नहीं दे सकती। पता नहीं कब रोते -रोते उसकी आँख लग गयी ?किसी आहट से उसकी आँख खुली। देखा, नितिन आ भी गए अपने कपड़े बदलकर उसके सामने खड़े थे। उसके आँख खोलते ही बोले -तबियत तो ठीक है तुम्हारी। दिपांशा बोली -हां ,आज पता नहीं , कैसे नींद आ गयी ?कहते हुए वो रसोईघर की तरफ बढ़ी लेकिन नितिन ने हाथ पकड़कर उसे रोक दिया। बोला -तुम बैठो मैं चाय बनाकर लाता हूँ। दिपांशा ने महसूस किया उसके सिर में थोड़ा भारीपन है ,वो वहीं बैठ गई। थोड़ी देर में नितिन चाय लेकर आये ,दोनों ने साथ में चाय पी। चाय पीकर दिपांशा को थोड़ा अच्छा लगा।
अगले दिन फिर से संजय का फोन आ गया ,अब जैसे वो पहले से ही तैयार थी ,उसने वो ही बातें बोलीं जो वो कल रोते हुए बोल रही थी। फिर बोली -अब आगे से मुझे फोन मत करना ,कोई अच्छी सी लड़की देखकर जो तुम्हें प्यार करे उससे विवाह कर लेना और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करो। मैं अपने घर में खुश हूँ। तुम भी अपना घर बसाकर खुश रहो। फोन रखकर वो जैसे ही पीछे हटी तो देखा पीछे नितिन खड़े थे। पहले तो वो घबराई फिर नितिन के गले लग गयी। जब मन शांत हुआ तो उसने सारी बातें नितिन को बता दीं ,जिस कारण वो मन ही मन घुट रही थी। उससे अपनी बातें बताकर अब वो अपने को हल्का महसूस कर रही थी।तभी नितिन बोले -मेरा प्यार और विश्वास जीत गया। दिपांशा न समझते हुए बोली
-क्या मतलब ,मैं कुछ समझी नहीं। तब नितिन ने जो रहस्य खोला ,उससे वो चौंक गयी। तब नितिन ने बताया -संजय पहले मुझसे मिला था ,उसने अपने और तुम्हारे बारे में पहले ही मुझे सब बता दिया था। तब मैंने उससे पूछा -कि तुम मुझसे क्या चाहते हो ?तो वो बोला -तुम दिपांशा को तलाक दे दो ,लेकिन मैंने मना कर दिया ,मुझे तो कोई परेशानी नहीं तो फिर मैं क्यों तलाक दूँ ? उसने अपने प्यार के दावे किये तब मैंने उससे कहा -यदि तुम्हारा प्यार सच्चा है तो तुम्हीं उससे मुझे तलाक दिलवा दो। तब जोश में आकर मुझसे शर्त लगाई थी -कुछ ही दिनों में मैं तुम्हारा तलाक करवाकर रहूंगा। लेकिन मुझे अपने और तुम्हारे प्यार पर पूरा विश्वास था जो जगह मैं तुम्हारे मन में अपने लिए बना चुका हूँ ,वो जगह अब कोई दूसरा नहीं ले सकता। कहकर नितिन ने पूरे विश्वास के साथ दिपांशा को अपने गले लगा लिया।
-क्या मतलब ,मैं कुछ समझी नहीं। तब नितिन ने जो रहस्य खोला ,उससे वो चौंक गयी। तब नितिन ने बताया -संजय पहले मुझसे मिला था ,उसने अपने और तुम्हारे बारे में पहले ही मुझे सब बता दिया था। तब मैंने उससे पूछा -कि तुम मुझसे क्या चाहते हो ?तो वो बोला -तुम दिपांशा को तलाक दे दो ,लेकिन मैंने मना कर दिया ,मुझे तो कोई परेशानी नहीं तो फिर मैं क्यों तलाक दूँ ? उसने अपने प्यार के दावे किये तब मैंने उससे कहा -यदि तुम्हारा प्यार सच्चा है तो तुम्हीं उससे मुझे तलाक दिलवा दो। तब जोश में आकर मुझसे शर्त लगाई थी -कुछ ही दिनों में मैं तुम्हारा तलाक करवाकर रहूंगा। लेकिन मुझे अपने और तुम्हारे प्यार पर पूरा विश्वास था जो जगह मैं तुम्हारे मन में अपने लिए बना चुका हूँ ,वो जगह अब कोई दूसरा नहीं ले सकता। कहकर नितिन ने पूरे विश्वास के साथ दिपांशा को अपने गले लगा लिया।


