shrnkhlabadh

छिन्न -भिन्न विचारों को 
शृंखलाबद्ध करने बैठी। 
  सोचा ,कुछ टूटी -फूटी ,
     आकृतियाँ हैं ,उन्हें जोड़ लूँ। 
उन्हें एक नया रूप ,नया आयाम  दूँ। 
  विचार थे ,कि पकड़ में न आ रहे थे। 
       जैसे किसी दल के नेता सी ,
              मनमानी किये जा रहे थे।
 मन में विचार किसी ,
        हसीना की तरह इठला रहे थे। 
 झुंझलाहट हुई ,
          क्यों ?विचार एकजुट नहीं होते। 
  ताकि ,मैं खूबसूरत कविता को ,  
                  अंजाम  दूँ । 
   अपने दिल की आवाज ,कागज़ के। 

                किसी कोने पर उतार दूँ।
   कह दूँ ,अपने दिल की बात ,
            फिर सोचा ,
               लिखुँ भी तो किस पर। 
किस पर अपना रोष निकालूँ ,
            राजनीति पर या नेताओं पर। 
समाज की दरिंदगी या समाज के ठेकेदारों पर। 
          अथवा ,
                   देश की दयनीय स्थिति पर। 
   किस पर लिखुँ ?अपनी कविता ,
           किसलिए इन्हें ,शृंखलाबद्ध करूँ। 
 विचार एक नहीं अनेक हैं। 
                        किसको पहले अंजाम दूँ। 
  यही सोचते -सोचते ,मेरी लेखनी बंद हो गई। 
                  मैं फिर से  उन्हीं विचारों में खो गई। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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