सर्द हवा ,
कहीं -कहीं जलते अलाव ,
अलाव के पास इक्का -दुक्का लोग।
बात करते चाय की चुस्की संग ,
किसी रेप केस पर ,
या फिर
धारा तीन सौ सत्तर पर।
चर्चा कोई भी हो।
समा ठहर सा गया है।
मजबूरी वश कोई निकला ,
घर से बाहर ,
जूझना है ,इस पेट के लिए।
दूर भौंकते कुत्तों के गूँजते स्वर ,
गली ,सड़कों का सूनापन ,
कह रहा है।
जिंदगी जैसे ठहर सी गई है।
इसी सर्द हवा में ,दूर कहीं ,
चीख -पुकार।
शायद किसी की जिंदगी पर ,
या फिर अस्मत पर बन आई है।
इस बेरहम जमाने की शिकार ,
ठहराव होगा ,उस जीवन का।
अलाव न जाने ,कब के बुझे।
रह गई तो ,सिर्फ़ चर्चा।
किसी जीवन पर ,
या
जीवन से जुडी ,घटनाओं पर
,
कहीं -कहीं जलते अलाव ,
अलाव के पास इक्का -दुक्का लोग।
बात करते चाय की चुस्की संग ,
किसी रेप केस पर ,
या फिर
धारा तीन सौ सत्तर पर।
चर्चा कोई भी हो।
समा ठहर सा गया है।
मजबूरी वश कोई निकला ,
घर से बाहर ,
जूझना है ,इस पेट के लिए।
दूर भौंकते कुत्तों के गूँजते स्वर ,
गली ,सड़कों का सूनापन ,
कह रहा है।
जिंदगी जैसे ठहर सी गई है।
इसी सर्द हवा में ,दूर कहीं ,
चीख -पुकार।
शायद किसी की जिंदगी पर ,
या फिर अस्मत पर बन आई है।
इस बेरहम जमाने की शिकार ,
ठहराव होगा ,उस जीवन का।
अलाव न जाने ,कब के बुझे।
रह गई तो ,सिर्फ़ चर्चा।
किसी जीवन पर ,
या
जीवन से जुडी ,घटनाओं पर
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