chrcha

सर्द हवा ,
    कहीं -कहीं जलते अलाव ,
      अलाव के पास इक्का -दुक्का लोग। 
         बात करते चाय की चुस्की संग ,
            किसी रेप केस पर ,
                या फिर 
   धारा तीन सौ सत्तर पर। 
   चर्चा कोई भी हो। 

    समा ठहर सा गया है। 
    मजबूरी वश कोई निकला ,
    घर से बाहर ,
    जूझना है ,इस पेट के लिए। 
        दूर भौंकते कुत्तों के गूँजते स्वर ,
            गली ,सड़कों का सूनापन ,
                    कह रहा है। 
    जिंदगी जैसे ठहर सी गई है। 
    इसी सर्द हवा में ,दूर कहीं ,
                 चीख -पुकार। 
     शायद किसी की जिंदगी पर ,
                या फिर अस्मत पर बन आई है। 
                   इस बेरहम जमाने की शिकार ,
                       ठहराव होगा ,उस जीवन का। 
अलाव न जाने ,कब के बुझे। 
  रह गई तो ,सिर्फ़ चर्चा। 
      किसी जीवन पर ,
             या 
       जीवन से जुडी ,घटनाओं पर 
,
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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