Beti

 कुछ सालों पहले की बात है ,लगभग सात वर्ष लोग आज भी उसे भुला नहीं पाये होगें। 'निर्भया रेप कांड 'तब लोगों का ख़ून खूब खौला था। जुलुस निकाले ,विरोध किया लोगों ने अपनी -अपनी समझ से जो ठीक लगा सो किया। इसके बाद क्या हुआ ,वे व्यक्ति  गिरफ़्तार हुए , मामला खत्म।जाने वाली तो चली गई जो दुःख उसे झेलना था ,वो उसने झेला। उसके सपने ,उसके माता -पिता के अरमान तो सब उसके साथ ही मिट गए। मामला शांत हुआ।


      कुछ दिन बाद छोटी बच्चियों के साथ ये  दुर्घटनाएँ सामने आयी -कि हिन्दू के घर घुसकर उनकी छोटी बच्ची का रेप किया कुछ अन्य कौमके लोगों ने। उसके कुछ दिनों  बाद एक मुस्लिम लड़की की लाश मिली ,खेतों में। अंदेशा वो ही था। आये दिन अख़बार में भी ये खबरें पढ़ने को मिल जाती है। पर क्या ,ये कभी किसी ने सोचा है ?कि ये कब तक होता रहेगा ?मामला हिन्दू या मुसलमान का नहीं। मामला बेटियों से जुड़ा है जिस भी लड़की के साथ ये सब होता है वो किसी न किसी की बेटी होती है। बेटी तो बेटी होती है -हिन्दू हो या मुसलमान, भुगतना तो एक बेटी को ही पड़ता है। 
                      अब ये कांड, हैदराबाद की' प्रियंका रेड्डी ' का ये भी किसी की बेटी थी ,जो अपने सपनों की उड़ान  भर रही थी। डॉक्टर थी ,काम भी अच्छा ही कर रही थी , मानवता को बचाने का। फिर ये शैतान आये कहाँ से ?जिस तरह से उन्होंने उसके साथ सुलूक़ किया ,हैवानियत दिखाई और बड़ी ही बेदर्दी से उसे जलाकर मार डाला। ऐसी हरक़त तो कोई जानवर या शैतान ही कर सकता है ऐसे शैतानों का न कोई धर्म न कोई जाति होती है। जब ऐसे लोगो के मन में वहशीपन आ जाए , तो वो ये नहीं देखता -कि ये किस मज़हब से है , या किस जाति की है। उसे तो सिर्फ़ एक औरत नजर आती है। 
                                          हर धर्म या कौम में ऐसे वहशी जानवर होते हैं , कुछ जानवर तो ऐसे होते है ,जो अपने ही घर की बहु - बेटियों पर ग़लत नजर रखते हैं ,और वे बेटियां अपने ही घर में घुट -घुटकर जीने पर मज़बूर हो जाती हैं जिस घर में उन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए ,उस घर में असुरक्षित व बेबसी की जिंदगी जीती हैं। बाहर भी नहीं  जा सकती क्योंकि अपनों से ही बचकर जाए कहाँ  ? बाहर तो इससे भी बड़े भेड़िये बैठे हैं , नोंचने के लिए। ये जो वहशी दरिंदे होते हैं ,न इनका कोई धर्म होता है न ईमान और न ही कोई जाति। लेकिन दोनों ही सूरतों में बलि तो औरत की ही चढ़ती है। जानवर जब पागल या वह्शी हो जाता है या तो उसे मार देते हैं या बांध देते हैं। इन्हें खुला छोड़ना ख़तरे से खाली नहीं। 
                 हम किसी धर्म या जाति विशेष को ग़लत नहीं ठहरा सकते ,उनमें ऐसे लोग भी होगें ,जिनकी इंसानियत या मानवता मरी नहींहोगी। जिस बेटी के साथ ये कांड हुआ वो किसी एक धर्म या कौम की नहीं देश की बेटी के साथ हुआ है वो हमारे देश की बेटी थी। सब ही बहु -बेटियों वाले है इसीलिए सबका फ़र्ज बनता है  कि , एकजुट होकर इसका विरोध करें। ग़लत काम तो ग़लत ही होता है। दोषियों को मिलकर पकड़वाएं। उन्हें ऐसी सज़ा दिलवायें आगे कोई ऐसी हिम्मत न कर सके। आख़िर सब देश के नागरिक हैं। सबने ही देश का नमक खाया है। बेटी तो बेटी होती है -न वो हिन्दु होती है , न मुसलमान।



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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