कस्तूरी और उसका भाई, पढ़ने के लिए बस्ता लेकर बैठे हुए थे ,किंतु आज अभी तक चतुर नहीं आया था। न जाने क्यों इतनी देर हो रही है ?अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था। कुछ देर ,प्रतीक्षा करने के पश्चात, दोनों बहन -भाई खेलने लग जाते हैं। तभी चतुर घर में प्रवेश करता है ,आज उसका चेहरा गंभीर था ,लग रहा था ,जैसे वह क्रोध में है। उसे आया देखकर ,दोनों बहन -भाई हँसते हुए उसके करीब आते हैं किन्तु उसका चेहरा देखकर ,दोनों के ही चेहरे की हंसी गायब हो गयी।
क्या समय हुआ है ?एकाएक चतुर बोला।
दोनों ही बहन -भाई एक दूसरे का मुंह देख रहे थे उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऐसा क्यों व्यवहार कर रहा है और समय क्यों पूछ रहा है ?
अभी 6:30 हुए हैं ,कस्तूरी ने जवाब दिया।
तो तुम लोगों को कहां होना चाहिए था , तुम्हारी शिक्षा का समय 6:00 बजे का है और तुम लोग कहां थे ?
इस तरह से तो चतुर ने कभी भी ,उनसे बात नहीं की थी। उसका यह व्यवहार बड़ा अजीब लग रहा था।जो इंसान हमेशा मुस्कुराता रहता था, और बातों ही बातों में, पढ़ा भी देता था। आज न जाने क्यों उसका व्यवहार बदला हुआ है ? यदि मुझे आने में थोड़ी सी देरी हो गई है, तो क्या तुम्हें पढ़ना नहीं चाहिए था ? यदि मैं नहीं रहूंगा ,तो क्या तुम लोग नहीं पढ़ोगे ? कल को मैं अपने घर चला जाऊंगा ,तब क्या करोगे ?
तभी कस्तूरी का भाई बोल उठा -तो क्या ,भाई तुम जाने वाले हो ,कब जा रहे हो ?
मैं कभी भी जाऊँ या नहीं भी जाऊं ,तुम्हें तो अपनी पढ़ाई से मतलब होना चाहिये ,तब भी क्या मेरी प्रतीक्षा करते रहोगे ? जो कार्य तुम्हें करना है, उसे समय पर पूर्ण करना चाहिए तुम लोगों की लापरवाही से इस तरह तुम्हें , कभी भी अच्छे नंबर नहीं मिलेंगे। जब वह यह सब बातें कह रहा था ,तब कस्तूरी की मां उधर ही खड़ी थी और उनकी बातें सुन रही थी किंतु कुछ देर के पश्चात ,वह अपने कार्य में व्यस्त हो गई।
तब कस्तूरी से चतुर ने पूछा -तुम किसी पूनिया को जानती हो, कौन है ?वो ! वो जानना चाहता था कि पूनिया को वह कितना जानती है और पुनिया के विषय में उसका क्या विचार है ?
कौन पुनिया ? पहले तो वो समझी नहीं।
अरे ! उसके विषय में ,मैं ज्यादा कुछ जानता नहीं ,तुम्हारे ही आस -पड़ोस का होगा। वही जो कुछ लड़कों के साथ, इधर-उधर भटकता रहता है।
अच्छा वो....... वो तो एकदम आवारा है ,कई बार अपने माता-पिता से भी मार खा चुका है और कई बार मेरे पापा से भी, डांट खा चुका है। आवारा लड़का है तुम यह बात क्यों पूछ रहे हो ? मुँह बनाते हुए कस्तूरी ने पूछा।
कुछ नहीं, ऐसे ही मैंने कुछ लड़कों को जाते हुए देखा था उनमें कोई पुनिया ,पुनिया था ,मुझे उसका नाम भी बड़ा अजीब लगा इसीलिए पूछने लगा।
वे लोग........ वे तो गंदे लड़के हैं ,उनके पास मत जाना, कस्तूरी में चतुर को समझाया और अपनी पुस्तक लेकर बैठ गई।
आज चतुर का पढ़ाने का मन कतई नहीं था। अब उसे अपने घर से निकले हुए बहुत दिन हो गए थे ,यहाँ रहकर उसने कुछ अनुभव भी कर लिया था। अच्छा - बुरा समय भी देख चुका था, अब उसकी इच्छा हो रही थी कि अपने परिवार में ,अपने लोगों के पास जाए और उनसे मिले। आज न जाने क्यों उसे अपनी मां की बहुत याद आ रही थी ? जिस घटना के कारण,वह घर छोड़कर भागा था वह घटना कबकी धुंधली सी पड़ गई थी ? इसलिए उसे परिवार की याद सता रही थी। उसने कस्तूरी को समझाया -मुझे कुछ दिनों के लिए जाना होगा मुझे अपने घर जाना होगा , तुम्हें इसी तरह पढ़ते रहना है अपनी पढ़ाई नहीं छोड़नी है।समझाते -समझाते चतुर अचानक कस्तूरी के भाई से बोला -मुझे प्यास लगी है ,पानी ले आओ !
पहले तो वो बोला ,दीदी !ले आएगी किन्तु चतुर ने इशारे से इंकार किया तब उसने अपनी मम्मी को आवाज लगाई।
तुरंत ही, चतुर ने उसे रोका ,जब तुमसे कहा है ,तुम्हीं लेकर आओ ! इच्छा न होते हुए भी वो उठकर पानी लेने चला गया। एकांत मिलते ही ,मौक़े का लाभ उठाते हुए ,चतुर तुरंत ही कस्तूरी से बोला -क्या तुम मुझसे प्रेम करती हो ?
इस अप्रत्याशित प्रश्न से ,अचानक ,कस्तूरी उसका चेहरा देखने लगी ,अचानक इसे क्या हुआ ?
चतुर ने दुबारा प्रश्न किया तुमने एक बार मुझसे कहा था ,तुम्हारी सहेलियां तुम्हें पसंद करती हैं ,क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो या नहीं ? उसके प्रश्न से कस्तूरी झेंप गयी ,उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई और नजरें नीची हो गयी इस समय वह भी नहीं समझ पा रही थी कि क्या जबाब दूँ ? मन ही मन पसंद तो करती थी किन्तु अभी उसके विषय में ,ज़्यादा कुछ सोचा भी नहीं था। उसके लिए तो यही बहुत था एक लड़का उसे पढ़ाने आता है ,महज़ अभी कम उम्र का आकर्षण ही कह सकते हैं। प्यार करना ,विवाह के लिए सोचना शायद अभी ,उसकी सोच वहाँ तक पहुंची ही नहीं थी।
इस समय तुम्हें शरमाना नहीं ,मेरे सवालों का जबाब देना है। जल्दी बतलाओ ! वरना तुम्हारा भाई आ जायेगा। क्या तुम मुझसे प्यार करती हो ? क्या तुम मुझसे शादी करोगी ?
उसी इस जल्दबाज़ी से कस्तूरी एकदम गंभीर हो गयी ,और बोली -अभी ,इसी वक्त !
नहीं ,उसके इस प्रश्न पर कोई और समय होता तो चतुर मुस्कुरा देता किन्तु आज वह गंभीर था ,उसकी गंभीरता का कारण ,वो पुनिया ही था। उसे लग रहा था ,पुनिया कस्तूरी को लेकर गंभीर है। उसका और कस्तूरी का सम्बन्ध तो ,चंद दिनों का ही है किन्तु पुनिया तो , यहाँ पहले से ही रहता है ,हो सकता है ,कभी न कभी कस्तूरी को भी अपने झांसे में ले ले। तब वह कस्तूरी से कहता है , मैं कोई गरीब घर का लड़का नहीं हूं , मैं अच्छे परिवार का और खानदानी लड़का हूं। मेरे घर में पैसे की कोई कमी नहीं है, हमारे यहां खेती-बाड़ी होती है और तब वह उसे अपने घर से भागने की सम्पूर्ण घटना बतलाता है। जब हंसी -मजाक में उसके कारण , उसके किसी दोस्त को हानि हुई। और आज वह कस्तूरी के कारण ही उसके पिता की दुकान पर, नौकर का कार्य कर रहा है किंतु शीघ्र उसके कॉलेज खुलेंगे। और वह अपने घर लौट जाएगा। तब क्या कस्तूरी उसके बिना रह पाएगी ? तब क्या कस्तूरी उसकी प्रतीक्षा करेंगी ? क्या उससे विवाह करना चाहेगी ?
चतुर की बातें सुनकर, कस्तूरी की आंखों में आंसू आ गए, न जाने उसके मन पर क्या असर हुआ ? किंतु वह थोड़ी गंभीर हो गई। अजीब सी बेचैनी हो गयी थी ,एक तरफ प्यार का इज़हार करता चतुर ,दूसरी तरफ उसे तुरंत ही जबाब चाहिए था। इस सबके लिए वो अभी तैयार नहीं थी।