कैसे ,अपनी बात बताऊँ ?
कैसे ,वो जज़्बात दिखाऊं ?
तुम भी कभी ,सुन लो !
मेरी धड़कनों को ,कैसे ,ये धड़कन सुनाऊँ ?
कहती हूँ ,कभी पढ़ लिया करो !
मेरी अँखियों की बातें ,
तुम ही कहो !
कैसे ,अपने भाव दिखाऊँ ?
कभी कहती है ,मेरी पायल !
कभी मैं ,चूड़ी खनकाऊँ !
अब तुम ही बतलाओ !
कैसे, तुम्हारा दिल बहलाऊँ ?
भावों के दरिया में अकेली ही ,
मैं बहती जाऊँ !
कैसे ,अपनी बात बताऊँ ?