Shaitani mann [part 76]

तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?मैं तुमसे प्यार करती हूँ तो इसका अर्थ यह तो नहीं कि हम लोग विवाह से पहले ही इस तरह से..... ये तुमने मेरे साथ अच्छा नहीं किया ,कहते हुए कविता रोने लगी।  उसके रोने का एक कारण यह भी था ताकि उसे पता चल सके ,नितिन ने उसके साथ जो भी किया ,वह गलत तो है ही किन्तु वो, उसे विश्वास तो दिलाये नितिन भी उससे उतना ही प्यार करता है जितना कि  वो उससे प्यार करती है। उसे विश्वास दिलाये ,उसने जो भी कविता के साथ किया वो गलत नहीं है बल्कि वो उस रिश्ते को एक नाम देगा। 

तुम इस तरह क्यों रो रही हो ?जो कुछ भी हुआ ,हम दोनों ही इसमें बराबर के भागीदार हैं ,तुम्हें जब भी मेरी जरूरत महसूस हो आ सकती हो, कहते हुए बेहूदे तरीके से मुस्कुराया। उसने एक बार भी कविता से यह नहीं कहा ,'वह भी उससे उतना ही प्यार करता है। 

तुम कहना क्या चाहते हो ?


तुम इतनी नासमझ भी नहीं हो ,जो समझ न सको !वही कह रहा हूँ ,जो तुम समझ रही हो। 

तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो ,आ जाना और यदि मुझसे मन भर जाये तो मेरे दोस्त भी हैं, जिसके साथ जब जैसा चाहो !

इससे पहले कि वो अपना वाक्य पूर्ण करता ,उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा आ गया ,मैं तो सोचती थी -तुम अपने दोस्तों के संग रहकर ,ऐसे हो गए हो। तुम दिल के अच्छे इंसान हो ,मेरा प्यार, तुम्हारी ज़िंदगी संवार देगा किन्तु मैं गलत थी ,तुम हर लड़की को एक ही नजर से देखते हो ,तुम्हारे मन में उसके प्यार का कोई मूल्य नहीं है। हवस और वासना के सिवा तुम्हें कुछ नजर नहीं आता।

तुम्हें भी तो आग लगी थी ,अपने गलों को सहलाते हुए नितिन क्रोधित होते हुए बोला - मैंने तुम्हारी भी प्यास बुझाई है ,जब तो मुझे छोड़ ही नहीं रहीं थीं ,अब देखो !कैसी सती -सावित्री बन रही है ?मैं चाहूँ तो तुम्हारे  इस थप्पड़ का जबाब दे सकता हूँ किन्तु मैं तुम्हारी भावनाओं को समझता हूँ कहते हुए कविता के करीब आया।  

रोते हुए कविता बोली -मैं नशे में भी, तुम्हारे प्यार में थी इसीलिए तुम्हारी ख़ुशी देखी किन्तु यदि तुम्हें मुझसे प्यार होता, मेरे प्यार की तनिक भी कीमत होती तो तुम उस नशे में मेरा लाभ उठाने का प्रयास न करते। तुम्हारे लिए ही मैं उस पार्टी में आई थी वरना मैं ऐसी जगह पर कभी न जाती किन्तु तुमने मेरे प्यार का अपमान किया है। इतना ही नहीं, अपने दोस्तों के लिए मेरे विषय में सोच कर, मेरे प्यार को गाली दी है। तुम्हारे लिए किसी के प्यार की कोई कीमत नहीं है,उसकी आँखों में देखते हुए पूछा। किन्तु नितिन के पास कोई जबाब नहीं था।  अच्छा हुआ, जो सौम्या ने तुम्हारा साथ छोड़ दिया। उसने तुम्हारी यही हरकतें देखकर, तुमसे रिश्ता तोड़ा होगा। 

तुम कौन होती हो ? मेरे और सौम्या के बीच में, बात करने वाली क्रोधित होते हुए नितिन उसके बाल पकड़कर खींचता है। 

छोडो !मुझे ,कहते हुए अपने बाल छुड़ाती है ,अब कविता का नितिन पर जो झूठा भृम बना हुआ था ,वह टूट रहा था,तब वह बोली - अब मैं जा रही हूं, कहते हुए अपने कपड़े पहनने लगती है , मुझसे कभी भी मिलने का प्रयास न करना , आज तुमने मुझे और मेरे प्यार को खो दिया है।

मैंने, तुमसे कभी नहीं कहा था, कि मैं तुमसे प्रेम करता हूं। 

मुझसे यही तो गलती हो गई , मैं तुम्हें समझ ही नहीं सकी ,प्यार नहीं करते थे ,तो मेरे तन को क्यों छुआ ?जिससे प्यार ही नहीं है ,उसकी किसी भी चीज से कोई मतलब नहीं रहता है। एक बलात्कारी और तुममें क्या अंतर रह गया ? वो जानबूझकर या बदले के लिए, हवस के लिए जबरदस्ती करता है। तुम क्या हो ?तुमने मुझसे बदला लिया ,या फिर मेरे प्यार की आड़ में अपनी हवस मिटाई या मुझे नशे में करके और मेरे प्यार को मेरी कमजोरी समझकर लाभ उठाया। तुम उस बलात्कारी से कहीं ज्यादा ख़तरनाक हो, जो ऐसी पार्टियां देकर,उन्हें कमजोर करता है और फिर किसी की भी ''पीठ में छुरा घौंपने से'' पीछे नहीं हटता।

कुछ सोचते हुए वो बोली -एक मिनट ,मैंने तो शराब पी ही नहीं ,तुम्हारे कहने से एक ''एप्पल जूस ''ही पीया था। फिर मैं बेहोश कैसे हो गयी ?इसका अर्थ तो यही हुआ ,वो वेटर भी तुम्हारा था और मुझे बेहोश करने के पीछे की सोच भी तुम्हारी ही थी। गहरी स्वांस लेते हुए ,कहती है - मैं तो सोच रही थी -कि  सौम्या के दिल तोड़ने की पश्चात , शायद तुम किसी के दिल के हाल समझ सकते हो किंतु तुम तो 'पत्थर हो गए हो ?' तुम्हारे पास दिल है ही कहां ? अब मैं जाकर सबको बता दूंगी , तुमने मेरे साथ क्या-क्या किया है ?

क्या किया ? जो भी किया तुम्हारी मर्जी से किया विश्वास न हो तो, यह वीडियो देख लो ! कहते हुए अपना फोन उठा कर उसे एक वीडियो दिखाता है, उस वीडियो को देखकर, कविता के  ''पैरों तले की जमीन खिसक गई'' मन ही मन सोचने लगी मैंने बैठे बिठाये ये कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है ? तुम इतनी ओछी हरकत करोगे , मुझे इस बात पर विश्वास नहीं था। 

मुझे भी तो विश्वास नहीं था, कि तुम एक रात की बात का इतना बतंगड़ बना दोगी। अब तुम नहीं जा सकतीं  ? 

क्यों नहीं जा सकती ?कहते हुए वो आगे बढ़ती है। 

 मेरे मित्र भी तो इस हुस्न का मजा लेंगे। 

खबरदार ! खबरदार जो ऐसा सोचने का भी प्रयास किया,मैं तुम्हारा मुंह नौच लूंगी। 

आओ ! नोच लो ! आओ एक-एक पारी और हो जाए!

 उस समय  मैं, नशे में रही होगीं  किंतु अब नशे में नहीं हूं ,कहते हुए वह दरवाजा खोलकर बाहर जाने लगी किंतु नितिन ने उसे पकड़ लिया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा।

 मुझे छोड़ दो ! मैं उस दिन को कोस रही हूं जिस दिन मैंने तुमसे प्यार किया, रोते हुए कविता हाथपांव मारती  रही किंतु नितिन ने उसकी एक भी नहीं सुनी। तभी नितिन को किसी का फोन आया। चलो ! हमें यहां से चलना होगा, कहते हुए , उसका हाथ पकड़कर बाहर की तरफ चल दिया। नितिन ने कविता से कह दिया था उसकी किसी भी हरकत से ,वह अपने आपको ही परेशानी में डाल लेगी।  नितिन तो कॉलेज पहुंचा किंतु उस दिन के पश्चात कविता कभी कॉलेज नहीं आई। सभी एक दूसरे से पूछ रहे थे, कविता कहां है ? क्यों नहीं आ रही ? कहां गई है ? किन्तु कोई भी उसके विषय में कुछ नहीं जानता था। 

कुछ दिनों पश्चात, एक हाथ कटी लाश, पुलिस को फिर से बरामद हुई। उस लाश की पहचान करना, मुश्किल था क्योंकि उसका चेहरा बुरी तरह से बिगड़ा हुआ था। 

इसीलिए तो कहते हैं, बुरे लोगों की सौहबत करने से, बुराई ही मिलती है , चाहे उसके साथ कितनी भी अच्छाई कर लो ! किंतु उसकी बुराई, जब तुम्हारी अच्छाई पर भारी होगी तो तुम कुछ नहीं कर पाओगे ! कविता ने क्या-क्या स्वप्न सजाए थे?  अपने प्यार से इस इंसान को सुधार लूंगी,इसकी बुराइयों को अच्छाई में बदल दूंगी , लेकिन अब वह प्यार जिंदा ही कहां है ? सांप को दूध पिलाने चली थी, खुद ही उसका शिकार हो गयी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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