sasra [sasural ]

 
अनजान नगरी ,अनजाने लोग ,
कहीं मधुर मुस्कान ,
कहीं तीखे शब्द बाण। 
कहीं छलकता प्रेम ,
कहीं कड़वे बैन ,
कौन है अपना ?

कौन पराया ? 
ये अब तक समझ न आया। 
इस  अनजान नगरी की मुसाफ़िर ,
डगमग नैया ,डोलती ,
 मैं ,वाणी में अमृत घोलती। 
अनजान नगरी ,अनजाने लोग ,
कैसे कहूँ  ,ये अपने हैं ,
 सच्चे हैं ,या बेगाने हैं। 
कल जो नगरी अनजानी थी। 
मुझसे बेगानी थी। 
आज वहीं पर रहना है। 
आज वो ही, मेरा सपना है।
हर कोई ,मेरा अपना है।  
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post