Dil to hai dil

दिल कहने को तो ये ,मानव के भौतिक शरीर का हिस्सा है ,किन्तु इसमें भावनायें हैं ,कुछ जज़्बात  होते हैं। ये सीधा -साधा प्यारा सा दिल भी ,न जाने कितनी हरकतें कर जाता है ?कभी -कभी कुछ भी पाने के लिए मचल उठता है ,न मिलने पर ज़िद पर आ जाता है। कहने को तो ये ,नन्हा सा प्यारा सा दिल है किन्तु ये एक नंबर का चोर भी है ,किसी का भी दिल चुरा लेता है किन्तु लेन -देन  का भी पक्का है ,चुराना जानता है तो ''दिल देना भी जानता है। उम्र कोई भी हो ,कुलांचें भरना नहीं छोड़ता। बचपन में भी  , बचपना नहीं छोड़ता और पड़ोस की लड़की देखी  नहीं कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। बाज़ की तरह ही इसकी आँखें होती हैं ,अच्छी और सुंदर वस्तुओं को खट से लपक लेता है। कहने को तो ये छोटा सा है ,किन्तु बड़े -बड़े कारनामे कर जाता है। नई -नई उड़ाने भरता है ,इतना महत्वाकांक्षी भी होता है। 


कई बार तो व्यक्ति दिल के हाथों मज़बूर भी हो जाता है ,कितना भी समझा लो ,अंत में यही जबाब आता है -''मैं दिल के हाथों मजबूर हूँ। '' इसके कारण ,कई बार व्यक्ति गलत राह भी  चुन लेता है। इश्क़ ,मुहब्बत के मामले में तो ये ,पैर पसारकर फैल जाता है फिर तो चाहे ,जान चली जाये किन्तु ''दिल है कि मानता  नहीं ''
इश्क हो जाये तो ''दिल पुकारे ,आरे -आरे आ रे ''ये दिल इतने करनामे करने के पश्चात भी बहुत नाजुक़ होता है। जिससे मुहब्बत हो जाये और वो न मिले या फिर धोखा मिले तो ये टूट भी जाता है ,जब ये टूटता है तो इसके टूटने की आवाज़ नहीं होती। जब ये प्रसन्न होता है ,इसके उल्लास और उत्साह का लोगों को पता  चल जाता है लोगों से घुलता -मिलता है ,अपनी ख़ुशियाँ बांटता है। जब ये टूटता है ,तो एकांतवास में चला जाता है। 
या फिर अस्पताल पहुँचा देता है ,चाहे उम्र कोई हो ,इश्क़ में टूटे या ज़ज्बातों से। कहने को तो ये ,डॉक्टरी भाषा 'में मुट्ठी भर मांस का पिंड है किन्तु जज्बातों और सपनों से भरा है जो कल्पनाओं की ऊँची -ऊँची उड़ानें भरता है। आख़िर ''दिल तो है दिल ,दिल का एतबार क्या कीजे ?''
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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